घर में दर्पण का एक खास महत्व होता है. क्योंकि घर का हर सदस्य दर्पण में ही अपनी छवि को देखता है. ऐसे में दर्पण का सही दिशा और सही जगह पर होना सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके साथ दर्पण का एक वास्तु और धार्मिक महत्व भी होता है. माना जाता है कि अगर आपके घर का दर्पण वास्तु और धर्म के हिसाब से सही जगह पर लगा हो तो आपका समय अच्छा ही अच्छा रहता है. दर्पण, जिसे आधुनिक भाषा में 'mirror' कहा जाता है, हमारे घरों में एक सामान्य चीज हो सकता है, लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से इसे एक महत्वपूर्ण और पवित्र वस्तु माना जाता है. दर्पण को घर में लगाने का धार्मिक महत्व विविधता से भरा होता है.
आत्मचिंतन का स्थान:
दर्पण आत्मचिंतन का स्थान हो सकता है जहां व्यक्ति अपनी आत्मा को देख और अनुभव कर सकता है. यह एक व्यक्ति को अपने आत्मा की अवस्था में समर्थन प्रदान कर सकता है और उसे अपने आत्मचिंतन की दिशा में मदद कर सकता है.
पवित्रता का प्रतीक:
कई धार्मिक सांस्कृतिकों में दर्पण को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. इसे भगवान की अस्तित्व की अवधारणा के साथ जोड़ा जाता है और लोग इसे एक धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं.
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स्वयं को सहज समझना:
दर्पण के माध्यम से व्यक्ति स्वयं को सहज समझ सकता है. यह उसे अपने शारीरिक, आत्मिक, और धार्मिक आयामों में समझने में सहायक हो सकता है.
संतुलन का अनुभव:
दर्पण का सही स्थान चयन करने से घर का संतुलन बना रहता है. यह घर की वास्तु और साज-सज्जा में मदद करता है और उसे हर्मोनियस और प्रेरणादायक बनाए रखता है.
प्राकृतिक प्रकाश:
दर्पण, विशेषकर बड़े आकार के, प्राकृतिक प्रकाश को घर में फैलाने में मदद करता है. यह आभासित करता है कि आत्मा भी ज्ञान की ओर प्रवृत्त होनी चाहिए.
सुंदरता का अनुभव:
दर्पण से संबंधित आकृति, रंग, और डिज़ाइन घर को सुंदर और आकर्षक बना सकते हैं, जिससे लोग अपने आस-पास के वातावरण में सुंदरता का आनंद ले सकते हैं.
इस प्रकार, दर्पण को घर में लगाना केवल आत्मचिंतन और आत्म-समर्पण का ही एक माध्यम नहीं होता, बल्कि इसमें धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक महत्व भी होता है.
Source : News Nation Bureau