RinMochan Mangal Stotra: ऋण मोचक मंगल स्तोत्र एक शक्तिशाली धार्मिक पाठ है जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो ऋण (कर्ज) से परेशान हैं. यह स्तोत्र भगवान मंगल देव को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में शक्ति, साहस और ऊर्जा के देवता माने जाते हैं. यह माना जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में आने वाले आर्थिक संकट, कर्ज और अन्य वित्तीय समस्याओं का निवारण होता है. इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को ऋण से मुक्ति मिलती है. मंगल देव की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है.
ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में वित्तीय स्थिरता आती है. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और नए आय के स्रोत खुलते हैं. इस स्तोत्र के प्रभाव से व्यक्ति को धन की वृद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है. मंगल देव की कृपा से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सुधरती है. आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति के लिए यह स्तोत्र मानसिक शांति और राहत प्रदान करता है. इसका नियमित पाठ मानसिक तनाव को कम करता है. ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और उसे नई ऊर्जा से भर देता है.
ऋण मोचक मंगल स्तोत्रम् (RinMochan Mangal Stotra)
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः |
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्म विरोधकः || 1 ||
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगाना कृपाकरः |
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दन || 2 ||
अङ्गारको यमश्चैव सर्व रोगापहारकः |
वृष्टेः कर्तापहर्ता च सर्वकामफलप्रदः || 3 ||
एतानि कूजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत् |
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रपवाप्नुयात् || 4 ||
धरणीगर्भसंभूतं विघुत्कांतिसमप्रभम् |
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् || 5 ||
स्तोत्रमङ्गाररकस्यैतत्पठनीय सदा नृभिः |
नतेषां भौमजा पीडा स्वल्पापिभवति कचित् || 6 ||
अङ्गाररकः महाभाग भगवन्भक्तवत्स्ल |
त्वां नमामि ममाशेषमृणनाशु विनाशय || 7 ||
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः |
भयक्लेशमन स्तापः | नश्यन्तु मम सर्वदा || 8 ||
शतिवक्र दुराराध्य भोगभुक्तजीतात्मनः |
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् || 9 ||
विरिशि्चशक्तविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा |
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः || 10 ||
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि , शरण गतः |
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रुणां चं भयातरा || 11 ||
एभिद्वार्दशभि त्रलोकैर्यः स्तौति च धरासुतम् |
महती श्रियमानोति ह्यपरो युवा || 12 ||
इति श्रीस्कन्दपुराणे मार्गवप्रोकं ऋण मोचकमंगल स्त्रोत्रम् !
|| अथ ऋण मोचक मंगल स्तोत्र ||
ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत उच्च है. इसका नियमित पाठ व्यक्ति को कर्ज और आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है. मंगल देव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता, धन की वृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है. इस स्तोत्र का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से मंगल देव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau