Rishi Panchami 2019: क्यों मनाई जाती है ऋषि पंचमी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

ऋषि पंचमी पर सभी स्त्री-पुरुष जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए सप्त ऋषियों के लिए व्रत करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है.

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yogesh bhadauriya
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Rishi Panchami 2019: क्यों मनाई जाती है ऋषि पंचमी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Rishi Panchami

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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है. ऋषि पंचमी पर अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांग कर व्रत विधान किया जाता है. ऋषि पंचमी पर सभी स्त्री-पुरुष जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए सप्त ऋषियों के लिए व्रत करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है. ऋषि पंचमी पर अपने पितरों के नाम से दान करके भी अपने रुके हुए कामों में सफलता मिल जाती है. इस व्रत को करके घर मे सुख शांति समृद्धि बहुत आसानी से बढ़ जाती है.

कब मनाई जाती है ऋषि पंचमी?

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार भाद्र पद यानी कि भादो माह की पंचमी को ऋषि पंचमी मनाई जाती है. यह व्रत हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक ऋषि पंचमी अगस्‍त या सितंबर महीने में आती है.

ऋषि पंचमी का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म को मानने वालों में ऋषि पंचमी का विशेष महत्‍व है. दोषों से मुक्‍त होने के लिए इस व्रत को किया जाता है. मान्‍यता है कि अगर कोई महिला महावारी के दौरान नियम तोड़ दे तो वह ऋषि पंचमी के दिन सप्‍त ऋषि की पूजा कर अपनी भूल सुधारने के बाद दोष मुक्‍त हो सकती है.

ऋषि पंचमी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है एक राज्‍य में ब्राह्मण पति-पत्‍नी रहते थे. उनकी दो संतान एक पुत्र और एक पुत्री थी. उन्‍होने अपनी बेटी का विवाह एक अच्‍छे कुल में किया लेकिन कुछ समय बाद दामाद की मृत्‍यु हो गई. वैधव्‍य व्रत का पालन करते हुए बेदी नदी किनारे एक कुटिया में वास करने लगी. कुछ समय बाद बेटी के शरीर में कीड़े पड़ने लगे. उसकी ऐसी दशा देख ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से इसका कारण पूछा. ब्राह्मण ने ध्‍यान लगाकर अपनी बेटी के पूर्व जन्‍म के कर्मों को देखा जिसमें उसकी बेटी ने महावारी के समय बर्तनों को स्‍पर्श किया और वर्तमान जन्‍म में ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया इसलिए उसके जीवन में सौभाग्‍य नहीं है. कारण जानने के बाद ब्राह्मण की बेटी विधि-विधान के साथ व्रत किया. इस व्रत के प्रताप से उसे अगले जन्‍म में पूर्ण सौभाग्‍य की प्राप्‍ति हुई.

ऋषि पंचमी पर कैसे करें व्रत विधान पूजा अर्चना ताकि शुभता मिले

  •  सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान कर लें और साफ हल्के पीले वस्‍त्र धारण करें
  •  अपने घर के मंदिर वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां सुगंध की व्यवस्था करें
  •  एक लकड़ी के पटरे पर सप्त ऋषियों की फ़ोटो या विग्रह लगायें और उनके सामने जल भरकर कलश रखें
  •  सप्‍त ऋषि को धूप-दीपक दिखाकर पीले फल-फूल और मिठाई अर्पित करें
  •  अब सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें
  •  सभी लोगों को व्रत कथा सुनाने के बाद आरती करें और सभी को प्रसाद खिलायें
  •  अपने बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें

दिव्य उपायों से खत्म होगी विद्या में आने वाली रुकावट

  • ऋषि पंचमी के दिन सुबह के समय जल्दी उठे स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • 11 साबुत छोटी हरी इलायची लें और उन्हें भगवान गणपति के सामने एक प्लेट में रखें
  • भगवान गणपति के सामने गाय के घी का दीया जलायें और पीले फल रखें
  • अब लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से ॐ विद्या बुद्धि प्रदाये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें
  • भगवान गणपति और सप्तर्षियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांग कर विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मांगे
  • ऐसा करने से विद्या में आ रही रुकावट शीघ्र ही दूर होगी
  • ऋषि पंचमी पर पितरों के आशीर्वाद से होगी धन-धान्य की वृद्धि
  • ऋषि पंचमी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • घर के रसोईघर को साफ करके हो सके तो गाय के दूध की खीर बनाएं
  • अपने घर के दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो या तस्वीर रखें उनके सामने घी का दीपक जलाएं
  • 5 अलग अलग पान के पत्तों पर थोड़ी खीर रखकर उस पर एक एक इलायची रखें
  • ॐ श्री पितृ देवाय नमः मन्त्र का 27 बार जपें जाप के बाद यह पांचों पान के पत्ते पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पण करें
  • पितरों के नाम से जरूरतमंद लोगों को भोजन अवश्य कराएं.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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