Sadhguru Jaggi Vasudev: सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक प्रेरणादायक आध्यात्मिक गुरु हैं. उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. उनकी कहानी न केवल आध्यात्मिकता के प्रति समर्पण है बल्कि यह भी सिखाती है कि कैसे जीवन की कठिनाइयों का सामना धैर्य और साहस के साथ किया जा सकता है. यूं तो सफलता पाने का रास्ता हमेशा सीधा नहीं होता, इसके लिए सही दिशा का चुनाव और कठिन परिश्रम जरूरी होता है. सद्गुरु ने सफलता पाने के कई टिप्स दिए हैं. ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं सफलता के लिए सद्गुरु के टिप्स. साथ ही जानिए कितने पढ़े लिखे हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव.
सफलता के लिए सद्गुरु के टिप्स
सद्गुरु यानी जग्गी वासुदेव के अनुसार, सफलता पाने के लिए सबसे पहले हमें अपना 100 प्रतिशत प्रयास देना चाहिए. हमें अपने काम और रिश्तों में पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए. खुल कर जीवन जीना भी जरूरी है. जीवन में डर इसलिए होता है क्योंकि हम इसे असली रूप में जी नहीं पाते. चुनौतियों का सामना करना जीवन में आगे बढ़ने का संकेत है. इसके अलावा अच्छे श्रोता बनकर दूसरों के विचारों को समझना भी सफलता की कुंजी है.
कितने पढ़े लिखे हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव?
सद्गुरु का जन्म 3 सितंबर 1957 को मैसूर के कर्नाटक में हुआ था. उनके पिता बी.वी. वासुदेव मैसूर रेलवे अस्पताल में डॉक्टर थे और उनकी माता सुशीला वासुदेव एक गृहिणी थीं. परिवार के सबसे छोटे सदस्य सद्गुरु ने महाजन प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज और मैसूर के डिमॉन्स्ट्रेशन स्कूल में शिक्षा प्राप्त की. बाद में, उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. योग में उनकी रुचि बहुत कम उम्र में ही शुरू हो गई थी, जब वह 13 साल की उम्र में मल्लाडिहल्ली राघवेंद्र के साथ योग सीखने लगे थे.
सद्गुरु की साहित्यिक और सामाजिक उपलब्धियां
सद्गुरु ने कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी हैं जिनमें 'इनर इंजीनियरिंग: ए योगीज़ गाइड टू जॉय' और 'कर्मा ए योगीज़ गाइड टू क्राफ्टिंग योर डेस्टिनी' शामिल हैं. ये किताबें न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्ट सेलर लिस्ट में भी शामिल हो चुकी हैं. सद्गुरु को उनके सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए 2017 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)