Sadhguru : सद्गुरु जग्गी वासुदेव, जिनका असली नाम जगदीश वासुदेव है, एक अमूल्य आध्यात्मिक गुरु हैं जो आध्यात्मिक जागरूकता और शांति के संदेश को लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं। उन्होंने आध्यात्मिक जीवन के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित किया है और उन्हें अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलने के लिए प्रेरित किया है. जगदीश वासुदेव का जन्म 13 मई 1957 को तमिलनाडु के ओड़ईप्पाटी गांव में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में ब्रह्मकुमारी, आर्ट ऑफ़ लिविंग, और ओशो आदि आध्यात्मिक संगठनों के साथ भी संबंध बनाए हैं और उनसे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया है.
जगदीश वासुदेव ने आध्यात्मिक ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के लिए अनेक आध्यात्मिक शिविर, सेमिनार, और कार्यक्रम आयोजित किए हैं. उनके उपदेशों में सेवा, प्रेम, और शांति के महत्व को बल दिया गया है. जगदीश वासुदेव के उपदेशों के माध्यम से लाखों लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखा है. उनका मार्गदर्शन और शिक्षाएँ मानवता को समृद्धि और आनंद की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती हैं.सद्गुरु कहते हैं कि तनाव का मूल कारण हमारे मन की अस्थिरता और अवस्थिति के अंतर्निहित मानसिक विचारों में है.
सद्गुरु जग्गी वासुदेव तनाव को कम करने के लिए ध्यान और प्राणायाम का महत्व बताते हैं. इन प्राक्रियाओं से मन की स्थिति को शांत किया जा सकता है. तनाव को दूर करने का एक महत्वपूर्ण तरीका आत्म-समर्पण है. जब हम समस्त कार्य को भगवान के लिए समर्पित करते हैं, तो हमें तनाव कम होता है. सद्गुरु के साथ समय बिताना और उनके उपदेशों का पालन करना तनाव को कम करने में मदद कर सकता है. शारीरिक और मानसिक स्तिथियों को सांख्यिकी और संतुलित रूप से देखना चाहिए, जिससे तनाव को कम किया जा सके.
सद्गुरु जग्गी वासुदेव के तनाव दूर करने के टिप्स
ध्यान का अभ्यास: नियमित ध्यान करना और मानसिक शांति की स्थिति में पहुंचना.
प्राणायाम और योग: प्राणायाम और योगाभ्यास से शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करना.
साथी के साथ समय बिताना: प्रियजनों के साथ समय बिताना और उनसे बातचीत करना.
संगीत और कला का आनंद लेना: संगीत सुनना और कला का आनंद लेना तनाव को कम करता है.
स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार लेना और ताजगी से भरपूर खाना.
स्वयं की प्रशंसा करना: स्वयं की प्रशंसा करना और स्वागत करना.
किसी अच्छी किताब का पढ़ना: किसी अच्छी किताब का पढ़ना और नई जानकारी प्राप्त करना.
सेवा और दान: सेवा और दान करके और दूसरों की मदद करके अपने तनाव को कम करना.
स्वच्छता और आत्मसमर्पण: स्वच्छता का ध्यान रखना और अपने काम में आत्मसमर्पण.
सत्संग और स्पर्श स्पर्श करना: सत्संग में भाग लेना और सद्गुरू के सानिध्य का आनंद लेना.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau