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Evening Puja Rules: संध्याकाल की पूजा करते समय भूल से भी ना करें ये गलतियां 

Sandhya Kaal Ki Puja Ke Niyam Kya Hai: शाम के समय अगर आप पूजा करते हैं और सुबह की तरह ही संध्याकाल की भी पूजा करते हैं तो आपको ये नियम पता होने चाहिए.

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Inna Khosla
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sandhya kaal ki puja ke niyam kya hai

Sandhya kaal ki puja ke niyam kya hai( Photo Credit : news nation)

Evening Puja Rules: सनातन धर्म में त्रिकाल पूजा का नियम है, यानि सुबह दोपहर और शाम के समय भगवान की पूजा की जाती है. संध्याकाल की पूजा का बहुत महत्व है. अगर आप सुबह और शाम के समय पूजा करते हैं और एक ही तरह से पूजा करते हैं तो आपको ये नियम जान लेने चाहिए. क्योंकि सुबह और शाम की पूजा करने का तरीका थोड़ा अलग होता है. ऐसी कई बातें आपके जानने के लिए जरूरी हैं ताकि आप संध्याकाल में पूजा करते समय ये गलतियां ना करें. मान्यता है कि संध्याकाल में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और जो भी सच्चे दिल से सही विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करता है उन्हें वो उसका फल जरूर देते हैं. तो आप जिस भी मनोकामना से पूजा करते हैं उसका सही नियम जान लें तभी आपको पूजा का लाभ मिल सकता है. 

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फूल चढ़ाने का नियम - हिंदू धर्म में फूलों का पूजा में इस्तेमाल होता है. लेकिन ध्यान रखें की आप सुबह के समय तो भगवान को ताजे फूल चढ़ा सकते हैं लेकिन शाम के समय फूल तोड़ना शुभ नहीं माना जाता. ऐसे में आप शाम की पूजा में ताजे फूलों का इस्तेमाल ना करें उन्हें पहले से ही तोड़कर रख लें. 

शंख और घंटी का नियम - सुबह की पूजा में शंख और घंटी बजाने का नियम होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाम के समय जब आप पूजा करते हैं उस समय शंख और घंटी नहीं बजना चाहिए. लेकिन आप आरती करते समय घंटी बजा सकते हैं. मान्यता भी है कि सूर्यास्त के बाद सभी देवी देवता सोने चले जाते हैं और शंख की आवाज से उनको आराम में खलन पड़ता है.

संध्याकाल की पूजा का समय - संध्याकाल की पूजा कभी भी नहीं की जा सकती. नियम अनुसार सूर्यास्त होने से एक घंटा पहले या सूर्यास्त होने के एक घंटे बाद ही पूजा ही संध्याकालीन पूजा मानी जाती है. इसी का फल भी मिलता है. 

सूर्य देव की पूजा - हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा का भी बहुत महत्व है. सुबह उन्हें जल अर्पित करते पूजा की जाती है लेकिन संध्याकाल में सूर्य देव की पूजा करना वर्जित बताया गया है. 

तुलसी की पूजा - शाम की पूजा में तुलसी तोड़कर गलती से भी इस्तेमाल ना करें. अगर सूर्यास्त के बाद पूजा में आपको तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करना है तो आप इसे पहले ही तोड़ लें. शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने दीया जरूर जलाना चाहिए. 

शाम की पूजा के बाद क्या करें - संध्याकाल में जब आप पूजा करते हैं तो धूप अगरबत्ती या ज्योत पूरी तरह के जल जाने के बाद सोने से पहले पर्दा जरूर कर दें और ब्रह्ममुहूर्त में इसे खोल दें. ऐसा माना जाता है कि देवी-देवता जो आपके घर में रहते हैं वो इस समय आराम करते हैं और आप उनकी सेवा करते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

Source : News Nation Bureau

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