Sankashti Chaturthi Vrat 2023 : हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर की जाती है. इनकी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. वहीं चतुर्थी तिथि को सर्वोत्तम माना गया है. इस दिन दिशा नैऋत्य मानी जाती है. हर माह जब भी अमावस्या तिथि के बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी आती है, तब उसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है. अब इसी क्रम में माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और माघी चतुर्थी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 12 महीने में आने वाली सभी चतुर्थी में ये चौथ की चतुर्थी सबसे बड़ी मानी जाती है. वहीं इस व्रत को करने से कई फायदे होते हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है. इस चतुर्थी को खला तिथि भी कहा जाता है. वहीं तिथि में कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है. अब इसी क्रम में गुरुवार के दिन चतुर्थी तिथि पड़ रही है, जो मृत्युदा होती है और शनिवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी सिद्धिदा कहलाती है. अब ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में आज संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ ऐसे फायदे के बारे में बताएंगे, जिससे आपको जल्द धन लाभ होगा.
ये भी पढ़ें - Bada Mangal 2023: बड़े मंगलवार के दिन जरूर करें उपाय, आर्थिक संकट से मिलेगा छुटकारा
संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने के ये हैं चार फायदे
1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है, संकट को हरने वाली चौथ. इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने पर व्यक्ति के सभी दुखों का नाश होता है. जो भी व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता है उसकी हर समस्या खत्म हो जाती है और शुभ फल की भी प्राप्ति होती है.
2. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है और धन लाभ भी होता है.
ये भी पढ़ें - Bada Mangal 2023: आने वाले बड़े मंगल पर ऐसे करें बजरंगबली को प्रसन्न, जानें पूजा विधि
3. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करता है, उनके घर से नकारात्मकता दूर हो जाती है और घर की शांति, सुख समृद्धि बनी रहती है.
4. जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता है भगवान गणेश उनके घर में आने वाली हर विघ्न-बाधाओं को दूर कर देते हैं और व्यक्ति की हर मनोकामनाएं भी पूरी कर देते हैं.
5. इस दिन इस मंत्र का 108 बार जरूर जाप करें.
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। '