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Bada Mangal 2024: किस्मत नहीं दे रही साथ और हैं परेशान, तो आखिरी बड़ा मंगल पर पूजा के बाद करें ये काम

Sankat Mochan Stuti Lyrics In Hindi: 18 जून को आखिरी बड़ा मंगल मनाया जाएगा.ऐसे में अगर आप जीवन में खुशहाली चाहते हैं को इस दिन पूजा के बाद संकट मोचन स्तुति का पाठ अवश्य करें.

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Sushma Pandey
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Sankat Mochan Stuti Lyrics In Hindi

Sankat Mochan Stuti Lyrics In Hindi( Photo Credit : SOCIAL MEDIA )

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Sankat Mochan Stuti Lyrics In Hindi:  सनातन धर्म में राम भक्त हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. इनकी पूजा के लिए मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें प्रसन्न करने के लिए  ज्येष्ठ में आने वाले मंगलवार और भी अधिक शुभ माने जाते हैं? जी हां, अगर मंगलवार ज्येष्ठ माह में हो तो इसकी महत्ता अधिक बढ़ जाती है. इस माह के मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. बता दें कि 18 जून को आखिरी बड़ा मंगल मनाया जाएगा.ऐसे में अगर आप जीवन में खुशहाली चाहते हैं को इस दिन पूजा के बाद संकट मोचन स्तुति का पाठ अवश्य करें.

संकट मोचन स्तुति (Sankat Mochan Stuti) 

बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी विनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीश यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सो कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो।

चाहत सीय असोक सों आगिसु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।

आनि संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।

श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।

बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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