Life Lesson: जीवन का सत्य हर धर्म में अलग है. हिंदू धर्म में, जीवन को कर्म और पुनर्जन्म के चक्र का हिस्सा माना जाता है. जिसका उद्देश्य आत्मा को मोक्ष दिलाना है, जो कर्म के चक्र से मुक्ति और परमेश्वर (ब्रह्म) के साथ मिलन है. बौद्ध धर्म में, जीवन को दुख (दुःख) की स्थिति के रूप में देखा जाता है. ईसाई धर्म में, जीवन को ईश्वर द्वारा दिया गया एक उपहार माना जाता है. इसका उद्देश्य ईश्वर से प्रेम करना और उसकी इच्छा के अनुसार जीना है, जैसा कि यीशु मसीह ने सिखाया था. इसके अलावा बात करें इस्लाम में, जीवन को अल्लाह (ईश्वर) की इच्छा के अनुसार जीने का अवसर माना जाता है. अगर आप जीवन के सत्य को समझ नहीं पा रहे तो संत और बंदर की ये कहानी आपको ये ज्ञान देने में मदद करेगी. संत की इस कहानी में एक बंदर घड़े के अंदर फंसा हुआ था क्योंकि उसने लड्डू पकड़ा हुआ था. संत ने उसे समझाया कि लड्डू छोड़ने से ही वह मुक्त हो सकता है.यह कहानी आज के हर उस व्यक्ति पर लागू होती है जो सांसारिक वस्तुओं में फंसा हुआ है और मोक्ष की चाह रखता है.
इस कहानी में छिपा है जीवन का सत्य
एक बार एक संत अपनी जगह में शांत बैठे थे, तभी उन्हें कुछ शोर सुनाई दिया. संत ने जाकर देखा तो एक बंदर ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था. उसका एक हाथ एक घड़े के अंदर था और वह बंदर अपना हाथ छुड़ाने के लिए चिल्ला रहा था. संत को देख वह बंदर संत से आग्रह करने लगा. महाराज कृपया करके मुझे इस बंधन से मुक्त करवाए. संत ने बंदर को कहा कि तुमने घड़े के अंदर हाथ डाला तो वह आसानी से उसमें चला गया, परंतु अब इसलिए बाहर नहीं निकल रहा है क्योंकि तुमने घड़े के अंदर अपने हाथ में लड्डू पकड़ा हुआ है. अगर तुम वह लड्डू हाथ से छोड़ दो तो तुम आसानी से मुक्त हो सकते हो.
बंदर ने कहा, महाराज लड्डू तो मैं नहीं छोड़ने वाला. अब आप मुझे बिना छोड़े ही मुक्त होने की कोई युक्ति सुझाए. संत मुस्कुराए और कहा कि या तो लड्डू छोड़ दो अन्यथा तुम कभी भी मुक्त नहीं हो सकते. हजारों कोशिशों के बाद बंदर को इस बात का एहसास हुआ की बिना लड्डू छोड़े मेरा हाथ इस घड़े से बाहर नहीं निकल सकता और मैं मुक्त नहीं हो सकता.
आखिरकार बंदर ने वो लड्डू छोड़ा और सहजता से ही उस घड़े से मुक्त हो गया. ये कहानी सिर्फ उस बंदर की ही नहीं बल्कि आज के हर उस इंसान की है जो उस घड़े रूपी संसार में फंसा बैठा है. लड्डू यानी सांसारिक वस्तुओं को छोड़ना भी नहीं चाहता और मोक्ष भी चाहता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau