चीन की राजधानी बीजिंग में मंगलवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ वसंत पंचमी के उपलक्ष्य में सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया. बीजिंग में स्थित भारतीय रेस्तरां ताज पैवेलियन में भारतीय (बंगाली) समुदाय (बंगाली बौंग्स) ने भारतीय परिवारों के साथ मिलकर इसका आयोजन किया. लगातार चार वर्षों से आयोजित की जा रही सरस्वती पूजा में इस बार कोरोना महामारी के चलते खास इंतजाम भी किए गए, जैसे- साफ-सफाई का खास ख्याल, आपसी दूरी का ध्यान रखना, आने से पहले तापमान की जांच आदि. सरस्वती पूजन की शुरुआत मूर्ति स्थापना करते हुए मंत्रोच्चारण के साथ की गई. बड़ों के साथ-साथ बच्चों ने भी सरस्वती माता के मंत्र का जाप किया. इसके बाद सरस्वती माता को पुष्पांजलि देकर जल अर्पित किया गया. दीपक जलाकर आरती के साथ पूजन कर, सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत की गई. लोकनृत्य और गीतों की धुन पर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा भवन गूंज उठा.
इस खास मौके पर बंगाली भोजन का प्रबंध भी था. इसके अलावा सरस्वती पूजन के शुभ पीले रंग को ध्यान में रखते हुए केसरी रसमलाई भी प्रसाद के रूप में दी गई. हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस खास दिन पर ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और अन्य कई राष्ट्रों में धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहने जाते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि व रवियोग एक साथ पड़ रहे हैं और दिन भी मंगलवार पड़ा है. मकर राशि में चार ग्रह गुरु, शनि, शुक्र और बुध एक साथ होंगे व मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे. यह सब मीन राशि व रेवती नक्षत्र के अधीन होगा. साथ ही 27 योगों में सबसे मंगलकारी शुभ योग भी इस दिन व्याप्त रहेगा. इससे वसंत पंचमी त्योहार का महत्व कई गुना बढ़ गया है.
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती की पूजा कर यह वरदान दिया था कि सृष्टि के रहने तक वसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा अर्चना की जाएगी. इसलिए विद्यार्थियों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के लिए वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा महान पर्व माना जाता है. चरक संहिता कहती है कि वसंत ऋतु में स्त्री-रमण और वन विहार करना चाहिए. इस दिन कामदेव और रति की भी पूजा करने का विधान है.
Source : IANS