Saturday Remedies : शनिवार के दिन न्याय के देवता शनि की पूजा बड़े ही विशेष विधि-विधान के साथ की जाती है. इस दिन भक्त शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है और आपको कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, तो शनिदेव की पूजा करने से सब ठीक हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, अगर आप शनिदेव की पूजा विधि-विधान से नहीं कर सकते हैं, तो मात्र उनको फूल अर्पित करने से भी वह बेहद प्रसन्न हो जाते हैं. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि शनिवार के दिन शनिदेव को कौन सा फूल प्रिय है, इसके अलावा शनिदेव की पूजा में कौन सी गलती करने से बचना चाहिए.
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शनिदेव को बेहद प्रिय है ये फूल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,देवी-देवताओं को उनके पसंद का फूल चढ़ाने मात्र से ही वह बेहद प्रसन्न हो जाते हैं और सभी समस्याओं का समाधान कर देते हैं. वहीं, शनि देव की पूजा में आक का फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है, केवल फूल अर्पित कर देने से ही आपको शनि की ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिल सकती है और आपके सारे बिगड़े काम बनने लग जाएंगे.
शनिवार के दिन पूजा में न करें ये गलती
1.अगर आप शनिदेव की पूजा करना चाहते हैं, तो शनिदेव के मंदिर में ही जाकर करें. घर पर न करें.
2.इनकी पूजा करते समय इनके सामने कभी दीपक न जलाएं.अगर आप दीपक जला रहे हैं, तो उस दीपक को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें, इससे शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं.
3.शनिदेव की पूजा में कभी लाल रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए. क्योंकि शनि और मंगल शत्रु ग्रह होते हैं.
4.अगर आप शनि देव की पूजा कर रहे हैं, तो शनि देव की आंखों में आंखें डालकर उनका दर्शन करने से बचें.
5.शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए शनिदेव की मूर्ति के बजाय, उनके शिला रूप का दर्शन करें.
6.शनिदेव को तेल चढ़ाते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए, ध्यान रहे, तेल इधर-उधर नहीं गिरना चाहिए.
शनिदेव की ध्यानपूर्वक करें आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।