आज यानी 19 जुलाई से पंचक शुरू हो गया है. शास्त्रों के अनुसार पंचक लगने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस वक्त देश की सबसे बड़ी धार्मिक कावड़ यात्रा चल रही है और इस कावड़ यात्रा में पंचक लग जाने से कावड़िये अपने कांधे पर 5 दिनों तक कावड़ नहीं उठाते क्योंकि कहा जाता है कि पंचक के दौरान बांस से बने सामान की खरीदारी और उसका स्पर्श वंचित माना जाता है और कावड़ बांस से बनाई जाती है इसलिए अब कावड़िये 5 दिनों तक कावड़ यात्रा नहीं कर सकेंगे. इस कावड़ यात्रा में कावड़िए लगातार अब हरिद्वार में जुटना शुरू हो जाएगे और पंचक समाप्त होने के बाद कांधे पर कावड़ उठाकर अपने गंतव्य की और गंगाजल से शिव का जलाभिषेक करने रवाना होना शुरू हो जायेगे.
श्रावण मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग गया है और इन पांच दिनों में कांवड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुटनी शुरू हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार जब भी धनिष्ठा शतभिषा पूभा उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं तब बांस से बने सामान की खरीद और स्पर्श करना वर्जित माना जाता है.
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ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि 5 नक्षत्र ऐसे होते हैं जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है और जिस लकड़ी का प्रयोग चिता बनाने में होता है उसको आप एक बार खरीदोगे तो आपको 5 बार खरीदनी पड़ेगी. पुराने समय में दरवाजे की चौखट और छत को भी पैर नहीं लगाया करते थे इसलिए अगर पंचक लगे हुए हो तो बांस से बने किसी भी सामान को ना खरीदें.
कावड़िए कावड़ में जल भरकर ना उठाए क्योंकि कावड़ बांस की लकड़ी से बनी होती है और अगर कावड़िए एक बार बांस से बनी कावड़ को उठा लेते हैं तो कावड़ियों को पांच बार कावड़ उठानी पड़ेगी. ज्योतिषाचार्य प्रतिक मिश्रपुरी का कहना है आज से शुरू हुआ पंचक बुधवार को समाप्त होगा इसलिए कांवड़ियों को पंचक समाप्ति के बाद ही कावड़ उठानी चाहिए जिससे उनको 5 गुना फल
की प्राप्ति होगी
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हरिद्वार गंगाजल भरकर कावड़ ले जाने वाले कांवड़ियों का कहना है कि पंचक के दौरान कावड़ को नहीं उठाया जाता है क्योंकि पंचक काल को अशुभ माना जाता है और पंचक में कावड़ उठाने पर कई दुर्घटनाएं भी घट सकती है रास्ते में भी परेशानी
का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हम पंचक लगने से पहले ही कावड़ उठा लेते हैं. क्योंकि इसका शास्त्रों में भी वर्णन है की पंचक में बांस से बनी कावड़ को छुआ भी नहीं जाता है.
पंचक लगने से अब 5 दिनों तक हरिद्वार कावड़ यात्रा मैं कांवड़िए कावड़ नहीं उठाएंगे. पंचक काल को कावड़िए अशुभ मानते हैं इसलिए कावड़िया पंचक लगने से पहले ही गंगाजल भरकर कावड़ को उठा लेते हैं और पंचक काल से पहले ही हरिद्वार से अपने गंतव्य की और रवाना हो जाते हैं. मगर कई ऐसे भी कावड़िये होते है जो पंचक काल को नहीं मानते और पंचक में कावड़ को उठा लेते हैं मगर ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है