कोरोना महामारी (Corona Virus) के चलते इस बार सावन के महीने में वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान के दर्शन के तौर-तरीकों में कई बदलाव किए गए हैं. कोरोना वायरस के चलते भगवान शिव की नगरी काशी में इस बार सावन की रंगत फीकी देखी जा रही है. घाटों से लेकर गलियों तक में सन्नाटा पसरा हुआ है. मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है और सावन मास में मंदिर के गर्भगृह तक जाने की अनुमति किसी भी भक्त को नहीं मिल रही है. भक्त इस बार अपने आराध्य भगवान शिव को जलाभिषेक भी नहीं सकते. हर 6 घंटे के अंतराल पर मंदिर को सैनिटाइज किया जा रहा है. कोरोना वायरस के चलते मंदिर प्रबंधन ने इस बार ऑनलाइन रुद्राभिषेक और स्पीड पोस्ट से भक्तों को प्रसाद भेजने की व्यवस्था की है.
यह भी पढ़ें : दिल्ली यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट से कहा, ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा स्थगित कर दी
इस बार ऐसा पहली दफा हुआ है कि यादव समाज के केवल 5 लोग ही जलाभिषेक के लिए मंदिर पहुंचे थे, जबकि इससे पहले परंपरा के मुताबिक, हर साल सावन के पहले सोमवार को यादव समाज के हजारों लोग सीधे गर्भगृह जाकर जलाभिषेक करते थे. पिछले साल एक लाख से ज्यादा लोगों ने पौने तीन घंटे तक जलाभिषेक किया था. पहले सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों भक्त उमड़ते थे, जबकि इस बार केवल पांच भक्त ही पहुंचे.
कोरोना वायरस के चलते मंदिर प्रबंधन ने इस बार ऑनलाइन रुद्राभिषेक करने और स्पीड पोस्ट के जरिए भोलेनाथ के भक्तों को प्रसाद भेजने की व्यवस्था की है. 251 रुपए में भक्त घर बैठे प्रसाद मंगवा सकेंगे. भक्तों को अपने नजदीकी पोस्ट ऑफिस से मात्र 251 रुपए का ई-मनीऑर्डर प्रवर डाक अधीक्षक, वाराणसी (पूर्वी) मंडल के नाम भेजना होगा. डिब्बा बंद प्रसाद टेंपर प्रूफ लिफाफे में स्पीड पोस्ट के जरिए पहुंचाया जाएगा.
यह भी पढ़ें : कोरोना वायरस से डर गया बंदर और लगा लिया मास्क, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो
इस बार मंदिर में रुद्राभिषेक और आरती के शुल्क में 30 फीसदी तक वृद्धि की गई है. कोरोना के चलते नागपंचमी के दिन काशी के नागकूप पर शास्त्रार्थ के लिए विद्वानों का जमावड़ा नहीं होगा. सावन माह में काशी में शिव और राम कथा कहने वाले कई कथावाचक भी इस बार मौजूद नहीं हैं. मंदिर के आसपास पूजा, फूल, दूध, श्रृंगार की अतिरिक्त दुकानें भी नहीं लग पाई हैं.
पहले सावन के सोमवार को दो लाख से ज्यादा भक्त भगवान शिव के दर्शन करने आते थे लेकिन इस बार प्रशासन ने 25 हजार भक्तों को दर्शन कराने का लक्ष्य रखा है. प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक होगा लेकिन भक्त इससे दूर ही रहेंगे. गर्भगृह में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी गई है. गर्भगृह के चारों दरवाजों पर बाहर से ही अर्घ्य की व्यवस्था की गई है.
Source : News Nation Bureau