Sawan 2024: उत्तराखंड का ऋषिकेश एक पवित्र तीर्थ स्थल है. ऋषिकेश में स्थापित मंदिर, घाट एवं झरने मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. यहां देश विदेश से लाखों की संख्या में यात्री दर्शन और घूमने के लिए आते हैं. इसे चार धाम का मुख्य द्वार भी कहा जाता है. ऋषिकेश में कई सारे प्राचीन व मान्यता प्राप्त मंदिर है. इनमें से एक मंदिर नीलकंठ महादेव का है. यहां सावन के समय भक्तों की काफी भीड़ लगती है. इस मंदिर में शिव जी के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
यहां के पुजारी बताते हैं कि नीलकंठ महादेव ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिव जी का एक भव्य मंदिर है. इसकी गिनती ऋषिकेश के प्रसिद्ध व पुराने मंदिरों में की जाती है. इसी वजह से यहां दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी रहती है. सावन के महीने में यह भीड़ और बढ़ जाती है. मान्यता है कि सावन में सोमवार के दिन नीलकंठ महादेव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कई बार ऐसा होता है कि भीड़ अधिक होने के कारण भक्तों को बाहर से ही आशीर्वाद लेकर घर जाना पड़ जाता है.
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भगवान शिव जी ने छह दशक तक की थी तपस्या
मान्यता यह है कि समुद्र मंथन के दौरान जब शिव जी ने समुद्र मंथन से कालकूट विष निकाला तो उसे अपनी हथेली पर मलकर पी लिया था. तब उनकी शक्ति के प्रभाव से उन्होंने उस विष को अपने कंठ तक ही सीमित रखा और गले से नीचे नहीं जाने दिया. इसलिए उन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाता है. विष पीने के बाद वे ऐसे स्थान की तलाश में थे, जहां उन्हें शीतल और शुद्ध वायु मिले. घूमते-घूमते वे मणिकूट पर्वत पहुंचे और वहां उन्हें वह शीतलता मिली. इसके बाद उन्होंने यहां लगभग छह हजार वर्षों तक समाधि लगा कर बैठ गए. इसलिए इस स्थान को श्री नीलकंठ महादेव मंदिर के रूप में जाना जाता है. अगर आप ऋषिकेश आए हैं या आने की सोच रहे हैं, तो सावन के महीने में इस मंदिर के दर्शन करना ना भूलें. ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे.
Source : News Nation Bureau