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Sawan Shivratri 2024: यहां जानें शिवरात्रि में अभिषेक करने का सही समय, विधि और सामग्री लिस्ट

इस साल सावन की शिवरात्रि 2 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. 2 अगस्त को श्रावण मास की चतुर्दशी तिथि रहेगी. ये दिन कावड़ जल चढ़ाने के लिए शुभ माना जाता है.

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Nidhi Sharma
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Sawan Shivratri 2024: भोले बाबा का प्रिय महीना सावन चल रहा है और कल यानी 2 अगस्त को सावन की शिवरात्रि है. वहीं शिवरात्रि पूजा के लिए निशिता काल समय सबसे शुभ माना जाता है. शिवरात्रि पर ज्यादातर श्रद्धालु भोले बाबा का रुद्राभिषेक करते हैं. हिंदू धर्म में रुद्राभिषेक का बहुत महत्व माना जाता है. वहीं रुद्राभिषेक के लिए सावन की शिवरात्रि बहुत शुभ मानी जाती है. 

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रुद्राभिषेक का अर्थ 

रुद्राभिषेक का अर्थ रुद्र का अभिषेक, यानि शिव का अभिषेक करना होता है. हिंदू धर्म के अनुसार रुद्राभिषेक करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर चली जाती है और भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है. जो व्यक्ति सावन महीने में रुद्राभिषेक कराता है उसकी कुंडली में मौजूद अशुभ दोषों का भी नाश हो जाता है.

जल चढ़ाने का समय 

वैसे तो शिवरात्रि पर पूरे दिन जल चढ़ता है, लेकिन इस दिन चार सबसे शुभ मुहूर्त है. पहला मुहूर्त दोपहर 12 से 12.54 तक है, वहीं दूसरा मुहूर्त दोपहर 02.42 से 03.36 तक रहेगा. इसके अलावा तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 07.11 से रात 08.14 तक है और चौथा मुहूर्त रात 12.06 से 12.49 तक है. 

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सामग्री लिस्ट 

गंगा जल, गुलाब फूल, सफेद फूल, बेल पत्र, दूध, दही, चंदन का लेप, धूप, कपूर, अगरबत्ती,दीया, घी, तेल, सिन्दूर, बाती और गंगा जल लेकर जाएं.

विधि 

सुबह नहाने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर मंदिर जाकर सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा अर्चना करें. इसके बाद मां पार्वती और भोले बाबा को अपने रुद्राभिषेक करने का उद्देश्य बताएं. अब आप मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग पर अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर सामग्री चढ़ाएं. अब  भोले बाबा को प्रसाद चढ़ाएं और उनकी आरती करें. 

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 चार पहर पूजा समय 

प्रथम प्रहर 07:11 PM से 09:49 PM

द्वितीय प्रहर  09:49 PM से 12:27 AM  3 अगस्त 

तृतीय प्रहर 12:27 AM से 03:06 AM, 3 अगस्त 

चतुर्थ प्रहर  03:06 AM से 05:44 AM, 3 अगस्त 

मंत्र 

ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च

मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥

निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।



 

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