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Science Behind Hanuman Chalisa: धर्म का सार हनुमान चालीसा का आज जानें रहस्यमयी आधार

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी को अमरता का वरदान मिला था. मान्यता है हनुमान जी आज भी धरती पर विराजमान है और जहां कहीं भी रामचरितमानस या हनुमान चालीसा का पाठ होता है वहां वह किसी न किसी रूप में अवश्य आते हैं.

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Gaveshna Sharma
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Science Behind Hanuman Chalisa

धर्म का सार हनुमान चालीसा का आज जानें रहस्यमयी आधार ( Photo Credit : Social Media)

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Science Behind Hanuman Chalisa: ईश्वर की सरल भाषा में की जाने वाली प्रार्थना चालीसा कहलाती है. भगवान की चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ये पद्यात्मक पंक्तियां 40 छंद की होने के कारण चालीसा कहलाती हैं. हिन्दू धर्म में चालीसा के माध्यम से ईश्वर की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना काफी लोकप्रिय है. चालीसा का पाठ करने के दौरान श्रद्धा के साथ स्वच्छता का ध्यान रखकर ही किया जा सकता है. वैसे तो कई देवी देवताओं की चालीसा का पाठ लोग करते हैं जैसे शिव चालीसा, दुर्गा चालीसा, शनि चालीसा इत्यादि. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी को अमरता का वरदान मिला था. मान्यता है हनुमान जी आज भी धरती पर विराजमान है और जहां कहीं भी रामचरितमानस या हनुमान चालीसा का पाठ होता है वहां वह किसी न किसी रूप में अवश्य आते हैं. इसलिए हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली माना जाता है. आइए जानते हैं हनुमान चालीसा का पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में.

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हनुमान चालीसा का महत्व
पुरातन काल से ही ईश्वर को प्रसन्न करने के तरीके चले आ रही हैं उन्हीं में से एक है हनुमान चालीसा. मान्यता है कि जो भक्त हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करता है उसकी सभी समस्याएं जड़ से समाप्त हो जाती हैं. हनुमान चालीसा एक बेहद सहज और सरल बजरंगबली की आराधना में की गई एक काव्यात्मक 40 छंदों वाली रचना है. तुलसीदासजी बाल्यावस्था से ही श्रीराम और हनुमान के भक्त थे, इसलिए उनकी कृपा से उन्होंने महाकाव्यों की रचना की है. मान्यता है कि हनुमान चालीसा के पाठ से कई तरह की तकलीफों का नाश हो जाता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि के साथ आरोग्य का वास होता है. यदि किसी कारण मन अशांत है तो हनुमान चालीसा के पाठ से मन को शांति मिल सकती है. हर तरह के भय का नाश भी इसके पाठ से हो सकता है.

हनुमान चालीसा का वैज्ञानिक तथ्य 
गोस्वामी  तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना लोगों के मन से भय निकालने हेतु की थी. लेकिन हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने हनुमान जी के चरित्र का वर्णन किया है. हनुमान जी अपने बचपन से ही बहुत बहुत नटखट थे. एक दिन हनुमान जी के माता पिता तपस्या हेतु आश्रम  गए और उनकी माता ने बोला की पके हुए लाल फल ही खाना. हनुमान जी को भूख लगी और उन्होंने सूर्य देव को देखकर सोचा की यह फल लाल और पका हुआ लग रहा हैं. भूख के कारण हनुमान जी सूर्य को खाने के लिए उड़ गए और उन्होंने सूर्य देव को मुंह में लिया. इस घटना  वर्णन करते हुए तुलसीदास जी ने एक दोहा हनुमान चालीस में भी लिखा हैं. इस दोहे में पृथ्वी से सूर्य की दूरी बताई गई है. दोहा इस प्रकार है-           
जुग सहस्र योजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
इस दोहे का अर्थ सरल भाषा यह हैं की हनुमान जी ने  सहस्र योजन की दूरी पर स्थित भानु मतलब सूर्य को मीठा फल समझकर खा  लिया था.

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हनुमान चालीसा स्वयं में ही संपूर्ण 
हनुमान चालीसा में हनुमान जी और श्री राम की कई कहानियों का उल्लेख मिलता है. हनुमान चालीसा लिखने वाले तुलसीदासजी राम के बहुत बड़े भक्त होने के कारण औरेंगजेब ने उन्हे बंदी बना लिया था. कहते हैं कि वहीं बैठकर उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी थी. अंत में ऐसे कुछ हुआ कि औरंगजेब को उन्हें छोड़ना पड़ा था. हनुमान चालीसा की हर एक पंक्ति में विशेष बातें बताई गई हैं.

हर छंद का अपना महत्व 
- बच्चे का पढ़ाई में मन ना लगे तो उसको इस छंद का पाठ करना चाहिए- बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार.

- मन में बिना मतलब का भय हो तो यह पंक्ति पढ़ना चाहिए- भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे.

- किसी भी कार्य को सिद्ध करना हो तो यह पंक्ति पढ़ें- भीम रूप धरि असुर सँहारे, रामचन्द्र के काज सँवारे.

- प्राणों पर यदि संकट आ गया हो तो यह पंक्ति पढ़ें- संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा.

- प्राणों पर यदि संकट आ गया हो तो यह पंक्ति पढ़ें- संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा.

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