सावन का दूसरा सोमवार कल है और आज बहुत ही अच्छा संयोग बन रहा है.सावन के इस दूसरे सोमवार यानी 29 जुलाई को प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है. सावन माह और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शंकर को समर्पित होते हैं. अगर इस दिन और इस अद्भुत योग में भोले शंकर की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाए तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है, ऐसी मान्यता है. सावन के दूसरे सोमवार यानी आज अगर आप भगवान शिव की पूजा करने जा रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखें. अगर ऐसा आपने नहीं किया तो आपकी पूजा तो व्यर्थ जाएगी ही, भोले भंडारी भी रुष्ट हो सकते हैं. आइए जानें उन चीजों को जिन्हें शिव लिंग पर कभी नहीं चढ़ाने चाहिए.
अगर आप भगवान शिव से किसी वरदान की अपेक्षा कर रहे है तो सावन का महीना आपके लिए सही समय लेकर आयेगा और शिव पूजा विधि विधान से करने पर ही मनोरथपूर्ण हो सकेंगे. पर क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका प्रयोग शिव पूजा में भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
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नारियल : पुराणों में माना गया हैं कि नारियल के पानी से भगवान शिव का अभिषेक नहीं किया जाना चाहिए. नारियल आमतौर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को चढ़ाया जाता है, भगवान शंकर को नहीं. उनकी पूजा की थाली में भी नारियल नहीं रखा जाता.
कुमकुम: शिवलिंग या शिव की मूर्ति पर कुमकुम का टीका कभी ना लगाएं. इसकी जगह चंदन या भस्म लगानी चाहिए. चूंकि कुमकुम लगाना ही है तो मां पार्वती को लगा सकते हैं.
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हल्दी: पुराणों में भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग करने पर मनाही हैं. इसकी वजह ये है कि उन्हें बैरागी माना जाता है. आप उन्हें सफेद या लाल चंदन चढ़ाना सकते हैं.
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केतकी के फूल: भगवान शिव को धतूरा के फूल चढ़ाए जाते हैं. अन्य फूल भी चढ़ा सकते हैं पर केतकी के फूल नहीं चढ़ाए जाते. शिव ने केतकी पुष्प को झूठा साक्ष्य देने के लिए दंडित करते हुए कहा कि यह फूल मेरी पूजा में उपयोग नहीं किया जा सकेगा. इसीलिए शिव के पूजन में कभी केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता.
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तुलसी का पत्ता: भगवान शिव की पूजा करते समय इस बात का खास तौर पर ध्यान दें कि उनकी पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. तुलसी का पत्ता शुद्ध माना गया है. पर ये भगवान शिव को नहीं भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है. इसलिए शिव को तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ाना चाहिए. दूध या पानी में डालकर भी नहीं. एक कानी और है. शिवपुराण के अनुसार असुर जालंधर की पत्नी तुलसी के मजबूत पतिधर्म की वजह से उसे कोई भी देव हरा नहीं सकता था. इसलिए भगवान विष्णु ने तुलसी के पतिव्रत को ही खंडित करने की सोची. वह जालंधर का वेष धारण कर तुलसी के पास पहुंच गए, जिसकी वजह से तुलसी का पतिधर्म टूट गया और भगवान शिव ने असुर जालंधर का वध कर उसे भस्म कर दिया.
सावन के सोमवार
- पहला सोमवार 22 जुलाई 2019 को था
- दूसरा सोमवार कल (29 जुलाई) है.
- तीसरा सोमवार 5 अगस्त को है.
- चौथा सोमवार 12 अगस्त को है.