Advertisment

Shani Amavasya 2022: जब रावण के पुत्र का शनि ने किया विनाश और लंकेश के प्रकोप से धीमी हुई शनिदेव की चाल शनि, अमावस्या पर खुलेगा शनिदेव का ये रहस्य

आज शनि अमावस्या के अवसर पर हम आपको शनिदेव से जुड़े कुछ रहस्य बताने जा रहे हैं.

author-image
Gaveshna Sharma
New Update
जब रावण के पुत्र का शनि ने किया विनाश और हो गई शनिदेव की चाल धीमी

जब रावण के पुत्र का शनि ने किया विनाश और हो गई शनिदेव की चाल धीमी ( Photo Credit : Social Media)

Advertisment

Shani Amavasya 2022: हर माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमवास्या होती है. आज वैशाख मास की 15वीं तिथि है. इसलिए आज यानी कि 30 अप्रैल को अमावस्या है. वैशाख अमावस्या बेहद ही विशेष है. शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने की वजह से इसे शनि या शनिश्चरि अमावस्या माना जा रहा है. शनिश्चरी अमावस्या के दिन ही साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण भी है. इसी वजह से आज का दिन और भी खास हो जाता है. ऐसे में आज शनि अमावस्या के अवसर पर हम आपको शनिदेव से जुड़े कुछ रहस्य बताने जा रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2022 Date, Puja Vidhi and Shubh Muhurat: वैशाख माह में विनायक चतुर्थी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, गणेश जी करेंगे हर संकट को दूर

क्यों चलते हैं शनि धीमी चाल 
सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी चाल शनिदेव की है. यही कारण है कि किसी एक राशि में शनि ढाई साल तक रहते हैं. जिसे शनि की ढैय्या कहते हैं. शनिदेव की धीमी चाल के बारे में शास्त्रों बताया गया है. कि दरअसल शनिदेव की धीमी चाल का कनेक्शन रावण के क्रोध से है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण ज्योतिष शास्त्र का बड़ा ज्ञाता था. जब मेघनाद अपनी माता के गर्भ में था तो मंदोदरी ने रावण से इच्छा जताई कि उसका नवजात ऐसे नक्षत्र में पैदा हो, जिससे की वह पराक्रमी, कुशल योद्धा और तेजस्वी बन सके. 

रावण त्रिलोक विजेता था और इसलिए सभी ग्रह-नक्षत्र उससे भयभीत रहते थे. रावण ने सभी ग्रह-नक्षत्रों को पुत्र के जन्म के समय शुभ दशा में रहने पर विवश किया. रावण के आदेश पर सभी ग्रह शुभ स्थिति में आ गए, लेकिन शनिदेव ने रावण के इस आदेश को नहीं माना. रावण को इस बात की जानकारी थी कि शनिदेव आयु की रक्षा करते हैं. इसलिए रावण ने अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और अपने पुत्र को दीर्घायु करने के लिए उसने उन्हें शुभ स्थिति में रखा. 

हालांकि शनिदेव रावण की मनचाही स्थिति में तो रहे, लेकिन मेघनाद के जन्म के समय उन्होंने अपनी दृष्टि वक्री कर ली. जिस कारण मेघनाद अल्पायु हो गया. शनिदेव की इस हरकत से रावण क्रोधित हो गया और अपनी गदा से शनि के पैर पर प्रहार किया. तभी से शनिदेव लंगड़ाकर चलने के लिए बाध्य हो गए. माना जाता है तभी से शनिदेव की गति धीमी हो गई. और अब किसी भी राशि में गोचर के लिए शनि ढाई साल का समय लेते हैं. 

यह भी पढ़ें: Vaishakh Rohini Vrat 2022: जीवन में सुख समृद्धि और वैभवता प्रदान करने वाले वैशाख रोहिणी व्रत का जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

देवता होने के बाद भी शनिदेव को माना जाता है अशुभ 
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य पुत्र शनि का विवाह चित्ररथ नामक गंधर्व की पुत्री से हुआ था, जो स्वभाव से बहुत ही उग्र थी. एक बार जब शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण की आराधना कर रहे थे, तब उनकी पत्नी ऋतु स्नान के बाद मिलन की कामना से उनके पास पहुंची.

शनि भगवान भक्ति में इतने लीन थे कि उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला. जब शनिदेव का ध्यान भंग हुआ तब तक उनकी पत्नी का ऋतुकाल समाप्त हो चुका था. इससे क्रोधित होकर शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप दे दिया कि पत्नी होने पर भी आपने मुझे कभी प्रेम की दृष्टि से नहीं देखा. अब आप जिसे भी देखेंगे, उसका कुछ न कुछ बुरा हो जाएगा. इसी कारण शनि की दृष्टि में दोष माना गया है.

उप-चुनाव-2022 saturday shani dev puja shani amavasya 2022 shani amavasya 2022 date shani amavasya upay shani amavasya dosh remedies shani amavasya pujan vidhi Shani Amavasya in vaishakh month शनि अमावस्या शनि देव पूजन विधि
Advertisment
Advertisment
Advertisment