Shani Auspicious Effect on Dhanu and Makar Rashi: सूर्य पुत्र शनिदेव का गोचरीय दृष्टि से परिवर्तन अप्रैल के महीने 28 तारीख को हो चुका है. जहां अब तक शनि मकर राशि में थे और धनु राशि के लोगों पर उनकी साढ़े साती का प्रभाव था. वहीं, अब इन दोनों राशियों पर शनि की साढ़े साती का प्रकोप खत्म होने से इनका अत्यंत शुभ समय शुरू हो चुका है. शनि मकर (Capricorn) और धनु राशि (Sagittarius) के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी फल लेकर आ रहे हैं और साथ ही शनि कृपा से इन दोनों राशि के जातकों को हर काम में सफलता मिलेगी और इनके सभी काम भी बनेंगे. ऐसे में चलिए जानते हैं कि धनु और मकर राशि में शनि क्या शुभ और मंगल करने जा रहे हैं.
धनु राशि (Sagittarius)
- धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए शनि देव धन भाव एवं पराक्रम भाव के कारक होकर पराक्रम भाव में स्वगृही गोचर करने जा रहे हैं. ऐसे में धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए पराक्रम में वृद्धि करेंगे.
- सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. भाई बंधुओं मित्रों का सहयोग सानिध्य भी खूब प्राप्त होगा. अचानक से किसी मित्र का सहयोग मिल जाने से सकारात्मक प्रगति हो सकती है.
- यहां बैठे शनि देव की तीसरी दृष्टि पंचम भाव अर्थात संतान व विद्या के भाव पर होगी. ऐसे में धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए संतान पक्ष से चिंता की स्थिति हलकी रह सकती है. स्वास्थ्य अच्छा रहेगा किंतु बीच बीच में ध्यान देने की जरूरत है.
- फल स्वरूप कुंडली के अनुसार पंचमेश मंगल को मजबूत करके शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है. शनिदेव की अगली दृष्टि सप्तम दृष्टि भाग्य भाव पर होगा ऐसे में भाग्य में अवरोध की स्थिति सामान्य तौर पर उत्पन्न नहीं होगी. लेकिन अचानक कार्यों में अवरोध या तनाव का वातावरण पैदा हो सकता. लेकिन काम कोई भी रुकेगा नहीं.
- शनिदेव की दसवीं दृष्टि वृश्चिक राशि अर्थात खर्च के भाव पर होगी. ऐसे में अचानक धार्मिक यात्राओं पर खर्च के साथ-साथ पर्यटन पर भी खर्च बढ़ सकता है. इस समय में आंखों की समस्या भी परेशान कर सकती है.
- इस प्रकार देखा जाए तो धनु लग्न अथवा धनु राशि के लिए शनि देव का गोचर सामान्य फल प्रदायक के रूप में साबित होगा. मूल कुंडली के अनुसार शनिदेव का उपाय करना सामाजिक पद प्रतिष्ठा पराक्रम में वृद्धि कराएगा.
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मकर राशि (Capricorn)
- मकर लग्न अथवा मकर राशि वालों के लिए शनिदेव का यह गोचरीय परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में साबित होगा. लग्नेश होने के कारण परम राजयोग कारक एवं परम शुभ कारक ग्रह के रूप में माने जाते हैं. ऐसे में इनका धन भाव पर स्वगृही गोचर निश्चित तौर पर सकारात्मक फल प्रदायक के रूप में साबित होगा.
- धन भाव पर संचरण होने से धन संबंधित कार्यों में तीव्रता के साथ वृद्धि. पारिवारिक कार्यों में तीव्रता के साथ वृद्धि. यदि मूल कुंडली में स्थिति गड़बड़ नहीं है अर्थात अकारक भाव में विद्यमान नहीं है तो यह गोचरीय परिवर्तन धन की दृष्टि से बड़ा परिवर्तन होगा. परंतु वाणी पर संयम बरतना आवश्यक होगा.
- शनिदेव की तृतीय नीच दृष्टि मेष राशि पर अर्थात सुख भाव पर होगी. ऐसे में सीने की तकलीफ कफ़, सर्दी, एलर्जी, घबराहट माता को मानसिक व शारीरिक कष्ट के कारण तनाव में वृद्धि हो सकती है.
- वाहन एवं घर से संबंधित कार्यों में देरी या अवरोध से तनाव का वातावरण भी उत्पन्न हो सकता है. घर से दूर जाने का भी संयोग बन सकता है.
- शनि देव की अगले दृष्टि सप्तम दृष्टि अष्टम भाव पर होगी. फलस्वरूप कमर में चोट या दर्द नसों का खिंचाव , पेट व पैर की समस्या के कारण तनाव हो सकता है. अतः इस परिवर्तन में तेज गति से वाहन ना चलाएं. साथ ही साथ स्वास्थ्य पर विशेष तौर पर ध्यान दें.
- शनिदेव की अगली दृष्टि वृश्चिक राशि लाभ भाव पर होगी. ऐसे में लाभ के साधनों में परिवर्तन एवं विस्तार की स्थिति बनेगी. अचानक धन लाभ के स्रोतों में वृद्धि व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि या विस्तार का संयोग बनेगा. इस प्रकार मकर लग्न अथवा राशि वालों के लिए शनि का परिवर्तन सकारात्मक फल प्रदायक ही होगा.