Shani Dev Anger Signs: कहते हैं न्याय के देवता शनिदेव अगर एक बार किसी से नाराज हो जाएं तो उसे राजा से रंक बनने में समय नहीं लगता. शनि देव की नाराजगी के कारण लोग मार्ग से भटकने लगते हैं, कर्जे में डूब जाते हैं, व्यसन, वैशावृत्ति जैसे कामों की ओर उनका ध्यान जाने लगता है. शनि देव को न्याय और संतुलन का देवता माना जाता है. शनि की साढ़े साती और ढैया का नाम सुनते ही मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है. ये लक्षण व्यक्ति के पाप कर्मों का परिणाम होते हैं. शनि देव की कृपा से व्यक्ति को धन, संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, परंतु नाराज होने पर जीवन में कष्ट आते हैं. शास्त्र के अनुसार अगर व्यक्ति के जीवन में ऐसी घटनाएं घट रही हों तो उस व्यक्ति को यह समझ जाना चाहिए कि उससे शनिदेव नाराज है और उसे तुरंत शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय करने चाहिए।
पहला लक्षण मार्ग से भटकना
जैसे कहा गया है यशमय देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय पराभम बुद्धिं तस्य पकर्षन्ति सोवा चिनानी पश्यती जिस व्यक्ति के जीवन में पराजय लिखी हो ईश्वर उसकी बुद्धि को पहले ही हर लेते हैं। इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें दिखाई नहीं देती। वह केवल बुरा ही बुरा देख पाता है अर्थात उसके पिछले पाक कर्मों के आधार पर शनि देव मनुष्य की बुद्धि ऐसे हर लेते हैं कि उसे आगे बढ़ने का कोई मार्ग दिखाई नहीं देता, वह बीच में ही फंस जाता है। उसे उन्नति करने का कोई मार्ग नहीं दिखाई देता। चारों ओर उसे केवल कलेश और हार ही नजर आती है.
दूसरी बात कर्ज का बढ़ना
शनि जिन व्यक्तियों पर नाराज होते हैं, ऐसे व्यक्ति कर्ज के बोझ के तले दबे रहते हैं। आवश्यकता ना होने पर भी बेकार की चीजें खरीदने के लिए और बेकार के कामों के लिए पैसे लेते हैं और बर्बाद हो जाते हैं। कर्ज का भार बढ़ जाता है और उसे चुका नहीं पाते। जीवन में कभी किसी की मदद ना करने के कारण ही व्यक्ति को ऐसी सजा मिलती है। हमेशा स्वार्थ करने पर व्यक्ति के जीवन में ये दशा आती है।
तीसरी बात व्यसन से घिर जाना
शनि की बुरी दशा चल रही हो तो व्यक्ति नशीली चीजों का सेवन करने लगता है, अचानक किसी बुरी आदत को अपना लेता है। ये उसके पाप कर्मों का ही फल होता है। व्यक्ति किसी का दिल दुखाता है अथवा माता पिता को अपशब्द कहता है। कोई भी धर्म कार्य नहीं करता तो उसे शनिदेव ऐसा दंड देते हैं कि वह बुरी आदतों की जाल में फंस जाता है और इससे बाहर नहीं निकल पाता।
चौथी बात वैशावृत्ति
जो पुरुष पराई स्त्रियों से संबंध बनाता है अथवा वेश्याओं के पास जाता है। ऐसा व्यक्ति पापी है शनि देव ऐसे मनुष्य की उन्नति कभी होने नहीं देते। ऐसा व्यक्ति शनि के न्याय से बच नहीं पाता और जीवन दुःख, बिमारी और गरीबी में निकलता है। ऐसे पुरुष को जीवन में कभी सम्मान नहीं मिलता और अंत में भयंकर रोगों से मर जाता है।
पांचवी बात पशु हत्या
शनि की नजर में पशुओं के प्राण लेना भयंकर अपराध है। न्याय के देवता ऐसे मनुष्य को अत्यंत दुःखदायी कष्ट देते हैं, जो मनुष्य मासाहार करता है। पशुओं को अकारण ही मारता है, वो उन्नति नहीं कर पाता। ऐसे पापी व्यक्ति को शनिदेव भयंकर दंड देते हैं।
छठी बात भयंकर बिमारी से ग्रसित होना
जो व्यक्ति दूसरों के धन पर अपना हक दिखाता है, दूसरों को मूर्ख बनाकर धन कमाता है। ऐसा व्यक्ति भयंकर बीमारियों से घिर जाता है। शनिदेव ऐसे व्यक्ति को कभी क्षमा नहीं करते। जो दूसरों का फायदा उठाकर उनका धन लूट लेता है।
सातवीं बात दूसरों का बुरा करना
जो महिलाएं दूसरों के साथ बुरा करती है अथवा दूसरों के अन्न में विष मिलाकर उन्हें खिलाती है, वह श्री पापी होती हैं। जो भी मनुष्य दूसरों के साथ बुरा करता है अथवा दूसरों का बुरा हो जाए ऐसी मन ही मन कामना करता है। वह शनि के दंड का ही पात्र होता है। ऐसे मनुष्य का कोई अपना नहीं होता। इन्हें मृत्यु के पश्चात भी मोक्ष नहीं मिलता।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau