Shani Jayanti 2022 Shri Krishna Bhakt Shanidev: पूर्ण ब्रह्म के अवतार भगवान कृष्ण की पूजा सभी ने की है. उनकी पूजा के बिना किसी के कोई भी कार्य संपन्न नहीं होते. यहां तक कि हमारे सौरमंडल के सबसे शक्तिशाली ग्रह शनि देव भी भगवान कृष्ण के भक्त हैं. ऐसे में आज हम आपको उस कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जब श्री कृष्ण ने कोयल अवतार लिया था और कैसे शनि देव उनके भक्त बन गए. आज हम आपको शनि देव और श्री कृष्ण के अनोखे सम्बंध के बारे में रोचक बातें बताएंगे.
भगवान कृष्ण की शनिदेव ने की थी आराधना
भारत में शनिदेव का एक अनोखा मंदिर है. माना जाता है कि इसी जगह पर श्रीकृष्ण ने कोयल रूप में दर्शन दिए थे. ये शनि मंदिर राजधानी दिल्ली से थोड़ी दूर पर स्थित है. शनिदेव मंदिर भगवान कृष्ण की जन्मभूमि, नंदगांव और बरसाना के नजदीक मथुरा के कोसी कलां में बना है. ये एक विशाल मंदिर है जो कोकिलावन मंदिर नाम से भी प्रसिद्ध है.
हर मनोकामना पूरी होती है कोकिला मंदिर में
मान्यता है कि इस मंदिर में सूर्यपुत्र शनिदेव पर तेल चढ़ाने से शनि के कोप से मुक्ति मिलती है. जो लोग शनि की साढ़े साती या शनि की ढैय्या से पीड़ित होते हैं वे शनि देव के इस मंदिर में जरूर आते हैं. इस शनिदेव मंदिर की परिक्रमा करने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
कई मंदिर हैं इस परिसर में
शनि देव के इस मंदिर में श्री देव बिहारी मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर भी बने हैं. मंदिर के परिसर में दो प्राचीन सरोवर और गऊशाला भी हैं. श्रद्धालु यहां आते हैं और शनिदेव के साथ दूसरे देवताओं की भा आराधना करते हैं.
आखिर क्यों पड़ा इसका नाम कोकिला वन
इस मंदिर का नाम कोकिला वन क्यों पड़ा, इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा मौजूद है. माना जाता है कि शनि देव, भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भक्त हैं. कहा जाता है कि कि अपने इष्ट देव के दर्शन करने के लिए शनिदेव ने कड़ी तपस्या की थी, तब जाकर वन में भगवान कृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे. जिस वन में भगवान कृष्ण ने शनि देव को दर्शन दिए उसी स्थान को कोकिलावन नाम से जाना जाने लगा.
राधा कृष्ण के साथ शनिदेव भी हैं विराजमान
तब से शनि धाम के बाईं ओर कृष्ण, राधा जी के साथ विराजमान हैं और भक्तगण किसी भी प्रकार की परेशानी लेकर जब यहां आते हैं तो उनकी इच्छा शनि पूरी करते हैं. मान्यता है कि यहां राजा दशरथ द्वारा लिखा शनि स्तोत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है. दूर दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं और शनिदेव पर परंपरा के अनुसार तेल चढ़ाते है. शनिदेव के दर्शन के साथ शनिदेव का आशीर्वाद लेते हैं.