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Shani Jayanti 2022: हनुमान जी के प्रिय महीने में जन्में शनि देव को क्यों लगता है पवन पुत्र से भय, जानें ये रोचक कथा

Shani Jayanti 2022: आने वाले सोमवार यानी कि 30 मई को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर हनुमान जी के प्रिय माह में जन्में शनिदेव को क्यों पवन पुत्र से भय लगता है.

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Gaveshna Sharma
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शनिदेव का जन्म और हनुमान जी का प्रिय महीना है ज्येष्ठ माह ( Photo Credit : Social Media)

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Shani Jayanti 2022: ज्येष्ठ माह में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है. यह महीना हिंदी कैलेंडर का तीसरा माह होता है. ज्येष्ठ माह में पानी के संरक्षण का विशेष महत्व दिया जाता है. ज्येष्ठ माह के नौ दिनों तक सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है इसे नौतपा कहते हैं. इस दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र, वृषभ और और मिथुन राशि में रहते हैं. इस दौरान सूर्यदेव उत्तरायण में रहते है जिसे देवताओं का दिन कहा जाता है. ज्येष्ठ माह पानी के महत्व के कारण इसमें निर्जला एकादशी और गंगा दशहरा जैसे पर्व मनाएं जाते हैं, जिसमें पानी को बचाने के संदेश दिए जाते हैं. इसके अलावा ज्येष्ठ के महीने में भगवान शनिदेव का जन्म दिवस मनाया जाता है और भगवान हनुमान का प्रिय महीना भी ज्येष्ठ माह होता है.

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शनिदेव का जन्म दिवस ज्येष्ठ अमावस्या 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर न्याय और कर्मफलदाता भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था. इस तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है. इस साल शनि जयंती 30 मई को है. शनि जयंती पर भगवान शनिदेव की विशेष पूजा आराधना की जाती है.

जिन लोगों पर शनिदोष, शनि साढ़ेसाती और शनि ढैय्या होती है उन्हें शनि अमावस्या पर भगवान शनि की पूजा करने पर यह दोष कम हो जाता है. शनि अमावस्या पर गंगा स्नान, तिल का दान और शनि से जुड़ी अन्य चीजों का दान और पूजा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है.

हनुमंत पूजा-आराधना का महीना ज्येष्ठ
ज्येष्ठ महीने में भगवान हनुमानजी की पूजा करने भी विशेष महत्व होता है. इस महीने के स्वामी मंगलदेव है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्येष्ठ महीने में ही हुई थी जिस कारण से इस महीने का खात महत्व है.

इस महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल कहते है. बड़ा मंगल पर हनुमान जी की पूजा-उपासना करने पर हर तरह की मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है.

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देवताओं का महीना
हिंदू धर्म में सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन रहते हैं. मकर संक्रांति पर सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं. ज्येष्ठ का महीना सूर्य के उत्तरायण होने का पांचवां महीना होता है और यह सूर्य के उत्तरायण का आखिरी समय यानी उत्तराकाल होता है.

उत्तरायण का महीन देवताओं का दिन माना गया है. ऐसे में ज्येष्ठ के महीने में किया गया पूजा-पाठ और दान का विशेष महत्व होता है. इस महीने सूर्य की उपासना करने पर हर तरह की बीमीारियां दूर हो जाती है और दरिद्रता से भी छुटकारा मिलता है.

महत्वपूर्ण व्रत 
ज्येष्ठ के महीने में कई तरह के व्रत उपवास रखे जाते हैं जिसका विशेष महत्व होता है. इस महीने में वट सावित्री व्रत आता है जिसमें महिलाएं बिना पानी पिए व्रत करती हैं. इसी महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा अवतरण दिवस मनाया जाता है.

वहीं इसी माह निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस महीने में जल का दान करने का विशेष महत्व होता है.

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