Shani Puja: शनि मंदिर में शनि देव की पूजा-अर्चना की जाती है. शनि मंदिरों में शनि देव की मूर्ति लगी होती है और वहां उनकी पूजा विधि के अनुसार उपासना की जाती है. लोग शनि मंदिर जाकर अपने जीवन में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उपाय करते हैं. इन मंदिरों में शनि देव के मंत्रों और भजनों की चौकी भी होती है, जहां भक्त उन्हें गाते हैं और ध्यान करते हैं. शनि मंदिरों में शनि देव की प्रतिमा को नीले रंग का कपड़ा, उरद दाल, धातुओं और नीले रंग के फूलों से अर्पित किया जाता है। यहां पर भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हैं और अपने जीवन में सुख और शांति की कामना करते हैं.
शनिदेव के सामने क्यों नहीं जोड़े हाथ
शनिदेव के सामने हाथ न जोड़ने का कारण उनके शक्ति स्वरूप और मार्गदर्शक भूमि को दर्शाने के लिए है. वे न्याय के देवता हैं और धर्म के रक्षक हैं. शनिदेव को विशेष सम्मान में पूजने के लिए उनके सामने हाथ न जोड़ने की प्रथा है, क्योंकि वे संतान, सम्पत्ति, और धर्म की प्राप्ति के लिए धार्मिक अनुष्ठान और समयानुसार व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं. इसलिए, शनिदेव के सामने हाथ न जोड़ने का उपाय भक्तों को शनिदेव की शक्ति और क्रोध को संतुष्ट करने के लिए होता है.
शनि मंदिर में पूजा के नियम
शुद्धि का महत्व: शनि मंदिर में पूजा करने से पहले, भक्त को निर्मल होकर आना चाहिए.
वस्त्र धारण: शनि मंदिर में पूजा करते समय शुद्ध और साफ सूचक वस्त्र पहनना चाहिए.
अन्नदान: कुछ शनि मंदिरों में भक्तों को अन्नदान का अवसर भी प्रदान किया जाता है, जिसमें वे पूजा के बाद अन्न और पानी दान कर सकते हैं.
मंत्र जप: शनि मंदिर में पूजा करते समय शनि देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
धूप-दीप: आरती के दौरान धूप और दीपक जलाना चाहिए.
पुष्पांजलि: पूजा के अंत में भक्तों को पुष्पांजलि अर्पित करनी चाहिए.
इन नियमों का पालन करके भक्त शनि मंदिर में पूजा कर सकते हैं और अपनी प्रार्थनाएँ कर सकते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
Source : News Nation Bureau