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Shardiya Navratri 2022 Day 6 Maa Katyayani Swaroop, Puja Vidhi aur Katha: नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, सौंदर्य और साहस का मिलेगा दिव्य आशीर्वाद  

मां कात्यायनी को युद्ध की देवी कहा जाता है. माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला माना जाता है और इनको प्रिय रंग पीला है. मानते हैं कि मां की पूजा से न सिर्फ असीम बल की प्राप्ति होती है, बल्कि इनकी कृपा से विवाह में आने वाली अड़चनें भी दूर हो जाती हैं

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Apoorv Srivastava
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Shardiya Navratri 2022

Shardiya Navratri 2022( Photo Credit : social Media)

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Shardiya Navratri 2022 Day 6 Maa Katyayani Swaroop, Puja Vidhi aur Katha: नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है. आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों में छठा रूप कात्यायनी देवी का है. आपको बता दें कि यजुर्वेद में प्रथम बार 'कात्यायनी' नाम का उल्लेख मिलता है. ऐसी मान्यता है कि देवताओं के कार्य सिद्ध करने के लिए आदि शक्ति देवी के रूप में महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं. मां कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहा जाता है. माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला माना जाता है और इनको प्रिय रंग पीला है. मानते हैं कि मां की पूजा से न सिर्फ असीम बल की प्राप्ति होती है, बल्कि इनकी कृपा से विवाह में आने वाली अड़चनें भी दूर हो जाती हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि और कथा के बारे में. 

मां कात्यायनी का स्वरूप 
मां कात्यायनी स्वरुप मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है. मां की चार भुजाएं हैं और मां सिंह यानी शेर की सवारी करती हैं. मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है. मां के दूसरे दोनों हाथ वर और अभयमुद्रा में हैं.

मां कात्यायनी की पूजा विधि 

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें. 
  • कलश पूजन कर माता को पंचामृत से स्नान कराएं.
  • इसके बाद माता का श्रंगार कर फल, फूल, सिंदूर, रोली, अक्षत, नारियल, पान, सुपारी, कुमकुम और चुन्नी माता को अर्पित करें.
  • अब धूप दीप प्रज्वलित कर माता के मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा का पाठ करें.
  • इसके बाद मां कात्यायनी को शहद और मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें.

मां कात्यायनी की कथा 
एक पौराणिक कथा है कि वनमीकथ नाम के महर्षि थे. उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य था. इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया, उनकी कोई संतान नहीं थी. उन्होंने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिया. कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मंशा बताई, देवी भगवती ने वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी.

जब तीनों लोक पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ गया और देवी देवता उसके कृत्य से परेशान हो गए, तब ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के तेज से माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया. इसलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. माता के जन्म के बाद कात्यायन ऋषि ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिनों तक मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना की. इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर नामक दैत्य का वध कर तीनों लोक को उसके अत्याचार से बचाया.

Source : News Nation Bureau

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