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मां महागौरी के कथा श्रवण से कुंवारी कन्याओं को मिलेगा मनवांछित वर

Shardiya Navratri 2022 Day 8 Maa Mahaguri Katha aur Puja Mahatva: शास्त्रों में नवरात्रि की अष्टमी पूजा (Navratri Ashtami Tithi 2022) का विशेष महत्व है. नवरात्र की अष्टमी पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन महागौरी की

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Deepak Pandey
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maa gauri puja

मां गौरी पूजा विधि( Photo Credit : SOCIAL MEDIA)

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Shardiya Navratri 2022 Day 8 Maa Mahaguri Katha aur Puja Mahatva: नवरात्र की अष्टमी पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. हिंदू शास्त्र के अनुसार, इस दिन महागौरी की पूजा के साथ कन्या पूजन करने से जिसे कंजक जमाना भी कहते हैं माता रानी अति प्रसन्न होती हैं और पूजा को स्वीकार कर सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती हैं. मां महागौरी माता पार्वती का वो स्वरूप हैं जो भगवान श्री गणेश की माता के तौर पर भी जानी जाती हैं. माता का ये रूप सौन्दर्य, ऐश्वर्य और बुद्धिमता प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त बच्चों से उड़ी हर समस्या जैसे उनकी लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ आदि के लिए भी मां महागौरी का व्रत और पूजन अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. शास्त्रों में नवरात्रि की अष्टमी पूजा (Navratri Ashtami Tithi 2022) का विशेष महत्व है. ऐसे में चलिए जानते हैं मां महागौरी की कथा और पूजा महत्व के बारे में.

मां महागौरी की कथा (Maa Mahagauri Katha)
- कथा 1 
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं. पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था. 

वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया. जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया.

- कथा 2
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद मां का श्वेतवर्ण माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया. देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी. 

ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया. इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया. इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया. आपको बता दें मां पार्वती ही देवी भगवती का स्वरूप हैं. 

- कथा 3
धार्मिक ग्रंथों की मानें तो एक सिंह भूख से तड़प रहा था और इधर उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था. भोजन की तलाश में वह एक पहाड़ पर जा पहुंचा, जहां देवी उमा तपस्या कर रही थी. देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई और देवी की तपस्या खत्म होने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया. 

देवी के इंतजार में वह भूख के मारे काफी कमजोर हो गया. तपस्या से उठने के बाद माता को उसकी हालत देख दया आ गई. मां ने उसे अपना वाहन बना लिया, क्योंकि उसने भी कड़ी तपस्या की थी. 

मां महागौरी की पूजा का महत्व (Maa Mahagauri Puja Mahatva)
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं. जिससे मन और शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है. देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती हैं. इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है. जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. 

देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. संकल्प लेकर की गई पूजा से मां प्रसन्न होकर सुंदरता, धन संपदा और सफलता का आशीष देती हैं. मां महागौरी की पूजा अर्चना से घर के भंडार सदैव अन्न से भरे रहते हैं. 

Source : News Nation Bureau

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