Shattila Ekadashi 2022 : एकादशी का व्रत सभी व्रतों में उत्तम और श्रेष्ठ कहा गया है. माघ मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी की तिथि को षटतिला एकादशी का नाम से पुकारा जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है. षटतिला एकादशी पर तिल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार 28 जनवरी 2022, शुक्रवार को माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. इस दिन का व्रत रखा जाता है. माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है. आइए जानते इस अहम एकादशी के बारे में-
रोग, कष्ट से निजात मिलता है
इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। रोग, कष्ट से निजात मिलता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान के समान पुण्य की मिलते हैं. षटतिला एकादशी के दिन जानें तिल का भी विशेष महत्व बताया गया है. षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व (shattila ekadashi 2022 significance) होता है। षटतिला एकादशी तिल के महत्व को बताती है। इस दिन 6 तरह से तिल का प्रयोग करना शुभ माना जाता है. तिल को सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है. षटतिला पर तिल मिश्रित जल से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना भी शुभ कहा गया है.साथ ही षटतिला एकादशी पर तिल से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस दिन तिल मिश्रित जल का सेवन करना सबसे खास माना जाता है। फलाहार के समय तिल का मिष्ठान ग्रहण, तिल से हवन और तिल का दान करने का विशेष महत्व है.
षटतिला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी तिथि 27 जनवरी को रात के 02 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा। ये 28 जनवरी की रात 11 बजकर 35 मिनट पर खत्म होगा. एकादशी व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा.
पारण का समय
पंचांग के अनुसार एकादशी व्रत पारण का शुभ समय 29 जनवरी 2022, शनिवार को सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 09 बजकर 20 मिनट तक है.
HIGHLIGHTS
- माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है
- षटतिला एकादशी के दिन जानें तिल का भी विशेष महत्व बताया गया है