Sheetla Ashtami 2024: शीतला अष्टमी पर ठंडा भोजन चढ़ाने का कारण है कि यह परंपरा में विश्वास किया जाता है कि शीतला माता ठंडे खाने को पसंद करती हैं और उसे ठंडा भोजन चढ़ाने से विशेष आनंद मिलता है. इसके अलावा, शीतला माता को ठंडा भोजन पसंद है क्योंकि यह ठंडा खाने से बीमारियों को दूर करने में मदद करता है और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है. इसलिए, शीतला सप्तमी पर ठंडे भोजन का चढ़ावा किया जाता है. इसके अलावा, शीतला सप्तमी को भारतीय समाज में माता शीतला की पूजा और वंदना का अवसर माना जाता है. माता शीतला को रोग निवारिणी, स्वास्थ्य और सुरक्षा की देवी माना जाता है, जिनकी कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है. इसलिए, इस दिन भक्तों द्वारा माता शीतला की पूजा और अर्चना की जाती है. ठंडे भोजन को चढ़ाने के साथ-साथ भक्त भगवान शीतला की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना भी करते हैं, ताकि उनके घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आदान-प्रदान हमेशा बना रहे.
माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाने के पीछे कई मान्यताएं हैं:
1. शीतलता का प्रतीक: बासी भोजन को शीतलता का प्रतीक माना जाता है. गर्मी के मौसम में जब शीतला अष्टमी आती है, तब लोग बासी भोजन का भोग लगाकर माता शीतला से शीतलता और स्वास्थ्य की कामना करते हैं.
2. संयम और सादगी: बासी भोजन को संयम और सादगी का प्रतीक भी माना जाता है. माता शीतला को भोग लगाने के लिए लोग बासी भोजन का उपयोग करते हैं, जो कि उनके त्याग और समर्पण का प्रतीक है.
3. ग्रहों का प्रभाव: यह भी माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन कुछ ग्रहों का प्रभाव होता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. बासी भोजन का भोग लगाने से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है.
4. माता शीतला की प्रसन्नता: मान्यता है कि माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
5. रोगों से मुक्ति: यह भी माना जाता है कि बासी भोजन का भोग लगाने से रोगों से मुक्ति मिलती है. शीतला अष्टमी के दिन लोग माता शीतला से चेचक, बुखार, और अन्य बीमारियों से मुक्ति की कामना करते हैं.
भोजन का भोग लगाते समय कुछ बातों का रखें ध्यान:
- भोजन स्वच्छ और ताजा होना चाहिए.
- भोजन में मांस, मदिरा, और तामसिक पदार्थ नहीं होने चाहिए.
- भोजन को भक्ति और श्रद्धा के साथ माता शीतला को अर्पित करना चाहिए.
माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यह परंपरा भक्ति, त्याग, और समर्पण का प्रतीक है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau