Shitala Ashtmi Festival : हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी का विशेष महत्व है. ये होली के सातवे दिन पर पड़ता है. इस त्योहार को लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ विधि-विधान से मनाते हैं. यह त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी को मनाई जाती है. इस दिन मां शीतला की पूजा अराधना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और जिस भी जातक को अगर कोई गंभीर बीमारी होती है, तो उससे भी मुक्ति मिलती है. इस दिन सेहत अच्छी पाने के लिए लोग व्रत रखते हैं. तो ऐसे में आइए जानते हैं कि शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त कब है, पूजा विधि क्या है, इस त्योहार का धार्मिक महत्व क्या है.
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जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
होली के सातवें दिन शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. वहीं इस बार दिनांक 14 मार्च को रात 08 बजक 22 मिनट से लेकर दिनांक 15 मार्च को शाम 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इसलिए इस बार शीतला अष्टमी का पर्व दिनांक 15 मार्च को मनाया जाएगा. जिसमें पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 30 मिनट तक ही रहेगा.
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान-ध्यान कर विधि-विधान के साथ मां शीतला की पूजा-अर्चना करें. इसी के साथ 1 दिन पहले बनाए गए भोजन का भोग लगाएं और मां शीतला व्रत कथा सुने. उसके बाद शीतला स्त्रोत का पाठ करें.
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जानें क्या है शीतला अष्टमी का धार्मिक महत्व
पौराणिक कथा की मानें, तो ऐसा कहा जाता है, कि जो महिलाएं शीतला अष्टमी की व्रत रखती हैं. उनका पूरा परिवार निरोगी रहता है. इस दिन घर में चुल्हा नहीं जलाया जाता है. इस दिन घर के लोग बासी खाना खाते हैं. मां शीतला की कथा सुनने से सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है और मां शीतला को बासी खाने का ही भोग लगाया जाता है. ऐसी कहते हैं, कि इसी दिन के बाद से गर्मी का मौसम शुरु हो जाता है.
HIGHLIGHTS
- जानें कब है शीतला अष्टमी व्रत
- क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
- क्या है धार्मिक महत्व