Nandi Puja Niyam: नंदी के कान में क्यों कही जाती है मनोकामना? कौन से कान में मनोकामना कहने से पूरी होती है? नंदी के कान में मनोकामना कहने के क्या नियम हैं? ये ऐसे सवाल हैं जिसके बारे में करोड़ों लोग पढ़ना चाहते हैं, आपने देखा होगा जब भी कोई किसी शिव मंदिर जाता है तो पूजा अर्चना करने के बाद नंदी के कान में कुछ बड़बड़ाता है. हालांकि वो व्यक्ति उनके कान में क्या बोलता है ये तो सिर्फ वो दोनों ही जान पाते हैं. आपको बता दें कि नियम के मुताबिक ऐसा ही करना उचित माना जाता है. जहां भी शिव मंदिर होता है वहां नंदी की स्थापना जरूर होती है, क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त और वाहन है. मनोकामना कहने के पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वो हमेशा समाधि में रहते हैं. ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिव जी तक पहुंचाते हैं. इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को अपनी मनोकामना कहते हैं.
नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कही हुई बात कोई और ना सुने. अपनी बात इतने धीमे कहें कि आपके पास खड़े व्यक्ति को भी उस बात का पता ना लगे.
बोलते समय अपने होंठों को हाथों से ढक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको ना देख सके.
आप कभी भी किसी दूसरे की बुराई दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात ना कहें वरना शिवजी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा
नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पूर्व नंदी का पूजन करें और मनोकामना कहने के बाद नंदी के समीप कुछ भेंट अवश्य रखें. ये भेंट धन या फलों के स्वरूप में हो सकती है.
नंदी के बाएं कान में ही अपनी इच्छा कहें. बाएं कान को देवी कान माना जाता है. देवी पार्वती भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और उनकी इच्छा भी भगवान शिव के लिए महत्वपूर्ण होती है. इसलिए, नंदी के बाएं कान में अपनी इच्छा कहने से देवी पार्वती तक भी आपकी बात पहुंच जाती है और वे आपकी इच्छा पूरी करने में भगवान शिव की सहायता करती हैं.
नंदी कौन थे ?
शिलाद नाम के एक मुनि थे जो ब्रह्मचारी थे. वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने उनसे संतान उत्पन करने को कहा. जिसके बाद शिलाद मुनि ने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे मृत्युहीन संतान मांगी. भगवान शिव ने शिलाद मुनि को ये वरदान दे दिया. 1 दिन जब शिलाद मुनि भूमि जोत रहे थे, उन्हें एक बालक मिला. उसका नाम नंदी रखा. 1 दिन मित्रा और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम आए. उन्होंने बताया की नंदी अल्प आयु है. ये सुनकर नंदी महादेव की आराधना करने लगे. प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और कहा कि तुम मेरे ही अंश हो, इसीलिए तुम्हें मृत्यु से भय कैसे हो सकता है? ऐसा कहकर भगवान शिव ने नंदी को अपना गणाधक बना लिया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau