एक दिन की बात है, शाम का समय था और भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठ थे. तभी माता पार्वती के मन में प्रश्न आया और उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि बहू को परेशान करने वाली सास को कौन सी या किस प्रकार की सजा मिलती है. भोलेनाथ ने माता पार्वती को एक कहानी सुनाकर इसका उत्तर दिया. हे पार्वती एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी, जो बहुत ही दुष्ट थी. उस बुढ़िया के पास एक बेटा था और एक सीधी सादी बेटी भी थी. वह हमेशा मां की बातों पर चलती थी. भगवान शिव कहते हैं हे पार्वती अब कुछ ऐसा हुआ कि उस बुढ़िया के बेटे को गांव में कोई भी काम नहीं मिलता. वो इतना गरीब है कि जमीन भी बेच कर वह धन कमा सके. उसे धन के लिए कुछ काम करना होगा. वह काम की तलाश में दूसरे गांव जाता हैं. दूसरे गांव में उसे एक अच्छा सा काम भी मिल जाता हैं, लेकिन वहां से उसे हर रोज़ अपने घर पर आने के लिए समय नहीं मिलता. सिर्फ पूरे साल में एक बार या कुछ दिनों के लिए ही उसे छुट्टी मिलती हैं. तो अपने घर आ पाता है इसलिए की वह दूसरे गांव में जाकर के काम करता. लेकिन उसे अपनी पत्नी की भी बहुत चिंता रहती थी.
जब उस बुढ़िया का बेटा अपने घर से काम करने के लिए दूसरे गांव पर जाता वो जाने से पहले हमेशा अपनी मां से कहता कि मां मेरी पत्नी को अच्छी तरह से संभालकर रखना क्योंकि मैं रोजाना यहां पर नहीं आ सकता हूं. बेटे की बात को सुनकर वो बुढ़िया कहती कि हां बेटा तुम बिल्कुल भी चिंता ना करना, मैं तुम्हारी पत्नी का अच्छे से ख्याल रखूंगी. उसे कोई भी कष्ट नहीं मिलेगा. तुम बेफिक्र हो कर दूसरे गांव में काम करने के लिए जा सकते हो.
सास ने इस तरह किए बहू पर अत्याचार
बेटे के जाते ही सास ने बहू पर अत्याचार शुरू कर दिए. समय धीरे-धीरे बीत रहा था. वह बहु अपनी सास के आलोचना सुनकर भी चुप रहती थी. सास बहू को खूब खरी खोटी सुनाती लेकिन, कभी भी वह बहू उसे जवाब नहीं देती थी, क्योंकि वह बहू बहुत ही संस्कारी थी और अपनी सास को अपनी मां जैसा प्यार देती थी. फिर समय धीरे-धीरे बीत गया. एक दिन उस बुढ़िया का बेटा छुट्टी पर आया. वह दो दिन तक घर पर रुका, लेकिन उसकी बहू ने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की. फिर इस प्रकार छुट्टी पूरी होने के बाद में जब वह बुढ़िया का बेटा काम के लिए दोबारा जाता है तो जाने से पहले अपनी माँ से कहता है, मां मेरी पत्नी का ख्याल रखना, ये बहुत ही अच्छी है. आपको बहुत ही प्यार करती है क्योंकि मैं रोजाना यहां पर नहीं आ सकता हूं फिर बेटे की बात को सुन करके वो बढ़िया कहती है, ठीक है बेटा तू चिंता मत कर, मैं तेरी पत्नी का बहुत ख्याल रखती हूं और आगे भी रखूंगी, क्योंकि ये तेरी पत्नी नहीं, मेरी बेटी भी है.
भगवान शिव कहते हैं हे पार्वती, इस प्रकार बेटे के घर से जाने के बाद अब बुढ़िया का ही राज़ था बहू को जितना हो सके उतना सताना शुरू कर देती थी, खुद पैर फैला कर बैठ जाती थी और अपनी बहू से घर और खेत का सारा काम करवाती थी, उसे सुबह जल्दी उठा देती. उसके बाद घर का सारा काम जैसे खाना पकाना, बर्तन, माजना, पानी भरना आदि काम करवाती थी. उसके बाद कभी जंगल से लकड़ियां लाने के लिए भेजती और पूरे दिन वह बहुत ही मेहनत का काम करती है. उसे थोड़ा सा भी आराम करने का भी समय नहीं मिलता था. वह बुढ़िया अपनी बहू को ठीक से खाना भी नहीं देती थी. कभी-कभी सिर्फ पानी तो कभी बासी खाना देकर सुला देती थी. बेचारी बहू सब काम चुप चाप करती रहती थी . कभी भी अपनी सास से किसी काम को करने से मना नहीं करती और अपनी सास के सामने कोई जवाब भी नहीं देती. वह अपनी सास पर कभी क्रोध भी नहीं दिखाती थी.
जब रात होती तो वह बहुत परेशान रहती थी. उसका शरीर बहुत दर्द करता था, लेकिन वह अपने पति से यह कभी नहीं कहती कि सासू मां उसे बहुत परेशान करती है क्योंकि वह नहीं चाहती कि घर में कलह हो और उसके पति जो दूसरे गांव में काम करने गए हैं, वह भी परेशान हों.
जब सास ने गर्भवती बहू को सताया
दिन बीतते गए और फिर एक दिन सास को पता चलता है की बहु गर्भवती है तो वो एकदम से विचलित हो जाती है और सोचती है की कमाने वाला मेरा बेटा अकेला है. ऊपर से अगर एक बच्चा और आ गया तो खाने वाला एक लोग और बढ़ जाएगा. उसके ऊपर बच्चे के जन्म के बाद उसका ख्याल रखने के कारण बहु कोई काम नहीं करेगी. मुझे ही सब कार्य करना पड़ेगा. हर सास तो यही चाहती है कि उसके घर में जल्दी से पोता या पोती आए, लेकिन वो सास ऐसी थी वो नहीं चाहती कि हमारी बहू की कोख से कोई भी संतान जन्म में क्योंकि उसकी सोच थी अगर बच्चा घर में आएगा तो बहु बच्चा के देखभाल में लग जाएगी और घर का कामकाज वो नहीं करेगी फिर सारा कामकाज मुझ करना पड़ेगा.
ये जानने के बाद सास अपनी गर्भवती बहू को और सताने लगी. बहू को बहुत सारा काम करने के लिए कहती, फिर भी बहु ऐसी हालत में भी घर का सारा काम और सास जो भी काम कहती वो सब भी अच्छे से किया करती थी. कुछ महीने इसी तरीके से बीते और बहु के नौ महीने पूरे होने के बाद उसकी प्रसूति का समय आता है. उसके पेट में दर्द हुआ बहु प्रसव के दर्द में व्याकुल हुई अपनी सास से कहने लगी कि मुझे लगता है कि मेरी प्रसूति का समय नजदीक आ गया है, कृपया जल्दी से आया को बुला लें. सास उससे कहती है कि आया की आवश्यकता नहीं है, मैं तुझे एक नींबू देती हूं, ये नींबू ले और तू दूर जंगल में जाकर के इस नींबू को खा लेना तुम्हें प्रसूती हो जाएगी. मेरी एक बात ध्यान से सुन लेना यदि तेरी कोख से बेटा हो तो उसे लेकर घर आना और यदि तेरे कोख से बेटी हो तो घर लेकर नहीं आना.
बहू बेचारी वेदना से तड़पती हुई सास के द्वारा बताए हुए रास्ते पर चली गयी और नींबू लेकर उस जंगल खाने लगी. कुछ पल में उसकी प्रसूति हो गयी और उसने एक बेटी को जन्म दिया
बहू ने उस बेटी को बड़े प्यार से दुलार दिया उसे दूध पिलाया. क्योंकि उसने उस बेटी नींबू खाकर पैदा की थी इसलिए उस बहू ने अपनी बेटी का नाम निम्बावती रखा. फिर इसके बाद उस बहू ने एक ऐसे पेड़ की खोज की जिसमें वह अपनी बेटी को छिपाकर रख सके. आखिरकार उसने एक ऐसा पेड़ खोज ही लिया. फिर उसने अपनी बेटी निम्बावती को उस पेड़ की खो में छोड़ दिया और उस पेड़ पर रहने वाली चिड़ियों से कहा कि अगर मैं अपनी बेटी को घर ले जाउंगी तो मेरी सास मेरे साथ मेरी बेटी को भी मार देगी. इसलिए मैं अपनी बेटी निम्बावती को इस खो में छोड़कर आपके भरोसे जा रही हूं. हे चिड़ियों, आप सब मेरी बेटी का ध्यान रखना.
बहू ने यह कहकर घर वापस घर आ गई. अब जैसे ही वह घर वापस आयी उसके साथ समझ जाती है कि उसे बेटी हुई है क्योंकि उसने पहले ही कह दिया था कि यदि बेटा हो तो घर लेकर आना और यदि बेटी हो तो लेकर नहीं आना. वह डर से अपनी बेटी को जंगल में ही छोड़ आयी. बहू अपनी सास से कहती है कि मां बेटी हुई थी इसलिए लेकर नहीं आई. फिर तो बहू की बात सुनकर वो बुढ़िया एकदम से शोर मचाने लगी और चिल्लाने लगी कि मेरी बहू ने अपने बच्चे को खा लिया. मेरी बहू बच्चे खाने वाली डायन बन गई है. इस तरह बहू को अगले 3 साल में तीन बेटियां हुईं लेकिन वो एक को भी लेकर घर नहीं आयी और जंगल में छोड़ी आयी
अब बुढ़िया गांव के द्वार द्वार जाकर के बहु की चुगली करने लगी. मगर बहु अपनी सास की एक भी बात का बुरा नहीं मानती और सास की नफरत भरी बातों को अनसुना कर देती. मगर वो बुढ़िया गांव में ज़ोर ज़ोर से चिल्लाती कि हमारे बेटे की बहू डायन है उसने तीन तीन बेटियों को खा लिया.
वह बुढ़िया जिस तरह से शोर मचाती उससे लोगों को भी अब लगने लगा कि वास्तव में उसकी बहू सचमुच ही बच्चे खाने वाली डायन है तो लोग डर के मारे अपने अपने बच्चों को घर के अंदर बंद करके रखने लगते हैं. अब इस प्रकार से धीरे धीरे यह बात गांव के चारों तरफ फैल गयी और उस बुढ़िया का बेटा जिस घर में काम करता था उसे वहां भी यह बात सुनने के लिए मिल गई. बुढ़िया का बेटा यह खबर सुनकर बहुत परेशान हुआ और तुरंत ही मालिक से अनुमति ले करके अपने गांव वापस आ गया. जब तक बुढ़िया का बेटा अपने गांव आता है तब तक यह खबर उस राज्य के राजा के कानों तक पहुंच गयी कि बुढ़िया की बहु वास्तव में एक डायन है.
जब राजा ने डायन बहू के बारे में जाना
फिर राजा ने सिपाही भेज करके बुढ़िया को दरबार में बुलाया और छानबीन करवायी. बुढ़िया मिर्च मसाला लगाकर के राजा से कहती है महाराज क्या बताऊं मेरी बहू वास्तव में एक बड़ी डायन है बच्चों को खाने वाली चुड़ैल है. उसने मेरी तीन पोतियों को जिंदा ही खा लिया है. फिर तो राजा उस बुढ़िया की बात को सुनकर क्रोधित हो गया और सिपाहियों को आदेश देता है की चौराहे पर एक सूली लगवाओ और बुढ़िया की बहू जहां कहीं भी है, वहां जाकर लेकर आओ और शीघ्र ही उसे सूली पर चढ़ा दो.
भगवान शिव कहते हैं हे पार्वती इस प्रकार राजा के सिपाही शीघ्र ही आज्ञा का पालन करते ही तुरंत ही सूली बनाते हैं और जा करके बुढ़िया की बहू को दरबार में लेकर आते हैं. फिर राजा बहू से पूछता है क्या तुम्हारी सास सच कहती है क्या तुमने अपनी तीनों बेटियों को जिंदा खा लिया है. राजा की बात को सुनकर वह बहू चुपचाप नीचे सिर झुकाए खड़ी रहती है. बहू को चुप चाप देख कर के राजा को विश्वास हो जाता है जैसा बुढ़िया ने बताया है, उसकी बहू तो वास्तव में अपनी बेटियों को खाने वाली डायन है.
राजा तुरंत ही अपने सिपाहियों को उस बहू को सूली पर चढ़ाने का आदेश देता है तो सिपाही उसे लेकर के चौराहे पर जमा होते हैं. फिर राजा भी बाहर आता है. उसके बाद राजा के दरबार के सभी मंत्री सेनापति वहां पर इकट्ठा हो गए
इधर बहू को सूली पर चढ़ाने की तैयारी होती है तो उधर उसका पति भी घर पहुंचता है. जब वह घर पहुंचता है तो उसे घर में कोई दिखाई नहीं देता वह सोचता है घर में मां और पत्नी नहीं हैं. घर के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है वह परेशान हो जाता है और पड़ोसियों से पूछता है कि क्या हुआ है. पड़ोसी बताते हैं कि तुम्हारी मां और पत्नी को राजा ने दरबार में बुलाया है. फिर वह बुढ़िया का बेटे घबरा कर राजा के दरबार की ओर भागता है. वहां पहुंचकर उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी को सूली पर चढ़ाने के लिए चौराहे पर ले जाया गया है. तब तेजी से चौराहे की ओर दौड़ता है. चौराहे पर पहुंचते ही वह देखता है कि राजा के प्रधान सिपाही और सभी प्रजा इकट्ठी है और कुछ ही समय में उसकी पत्नी को सूली पर चढ़ाने का हुक्म है.
तब बुढ़िया का बेटा तुरंत ही राजा के सामने खड़ा होता है और हाथ जोड़ कर गिड़ गिड़ाता है. महाराज कृपया मेरी पत्नी को सूली पर चढ़ाने से रोक दीजिए. कुछ देर के लिए मुझे एक बार अपनी मां और पत्नी से सच बात पूछने दीजिए. अगर मेरी पत्नी अपराधी है तो मैं स्वयं कहूंगा कि उसे सूली पर आप चढ़ा दे. राजा को कुछ दया आती है और वो राजा अपने सिपाहियों को कुछ देर के लिए सूली पर चढ़ाने का आदेश रोक देता है. बुढ़िया का बेटा अपनी मां से पूछता है मां भगवान के लिए सच बताओ, लेकिन बुढ़िया अपने बेटे से भी झूठ बोलती है और उससे कहती है हां तेरी बहू डायन है तेरी बहू ने तेरी तीनों बेटियों को खा लिया है.
मगर उस बुढ़िया के बेटे को अपनी मां पर विश्वास नहीं होता क्योंकि वो जानता था उसकी पत्नी बहुत अच्छी है, संस्कारी है, कभी झूठ नहीं बोलती. मां की बहुत सेवा करती है बच्चों को देखने के लिए दिन रात तरसती है फिर ऐसी मां अपने बच्चों को खा करके डायन कैसे बन सकती है. ऐसा सोच करके उस बुढ़िया का बेटा अपनी पत्नी को कसम देकर पूछता है कि तुम मुझे सच बताओ, मुझसे झूठ ना बोलना. बहू शुरू से लेकर अंत तक की सारी बातें अपने पति को बताती हैं, लेकिन कोई भी उसकी बातों को सच मानने के लिए तैयार नहीं होता.
तो वो कहती हैं सच्चाई क्या हैं आप अपनी आंखों से देख लीजिये और वो अपनी बेटियों को प्यार से आवाज देती हैं. निम्बावती मेरी प्यारी बिटिया संकट में मेरी रक्षा करना. जीरावती मेरी बिटिया, संकट में मेरी रक्षा करना आमवती मेरी बिटिया संकट में मेरी रक्षा करना. जब उस बहू ने अपनी तीनो बेटियों को याद किया तो उसकी तीनो बेटियां तुरंत जंगल से दौड़कर मां के पास चली आई और मां से लिपट गई. इसके बाद उस बेटे को सच्चाई का पता चल गया. उसे देखकर राजा और सभी लोगों ने बहू की बातों पर विश्वास किया और सभी को सच्चाई समझ आ गई. राजा ने क्रोधित होकर बुढ़िया से कहा अब बताओ सच्चाई क्या है अब तो बुढ़िया डर के मारे कांपन लगी, लेकिन उसे सच बताना ही पड़ा. जब राजा ने सच्चाई जान ली तो उसने बुढ़िया को फांसी चढ़वा दी और बहू को छोड़ने का आदेश दिया.
राजा बहू के संस्कारों को देखकर बहुत खुश हुआ और बुढ़िया के बेटे से कहा अब से तुम्हें दूसरे गांव जाने की आवश्यकता नहीं है. मैं तुम्हें इसी गांव में काम दूंगा. तुम अपनी पत्नी और बच्चों के साथ हमारे यहां खुशी खुशी रह सकते हो. बुढ़िया का बेटा राजा से हाथ जोड़कर कहता है आपकी बड़ी कृपा हुई महाराज और उसके बाद में बुढ़िया का बेटा अपनी पत्नी और तीनों बेटियों को लेकर के घर पर आ जाता है. बहू बहुत ही संस्कारी थी, लक्ष्मी की उपासक थी और फिर वह अपने पति और अपनी तीनों बेटियों के साथ घर पहुंच करके लक्ष्मी को याद करके रात्रि में सो गयी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)