भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन (Sawan 2019)की शुरुआत 17 जुलाई यानी गुरुवार से शुरू हो गई है. 15 अगस्त तक यह महीना शिव भक्तों के लिए अपार खुशियां लेकर आया है. इन 30 दिनों में भोले भंडारी की विशेष पूजा भक्तों के पुण्य कर्म में बढ़ोतरी कराएगी. हम सभी जानते हैं कि भोले शंकर को जल, बिल्व पत्र, भांग, आंकड़े के फूल, धतूरा बहुत प्रिय है. आइए जानें भगवान शिव की पूजा की सरल विधि, मंत्र और आरती...
इन 15 चीजों से करें पूजन
भगवान शिव की पूजा करते समय भक्तों को उनकी पसंद की चीजों का ख्याला जरूर रखना चाहिए. सबसे पहले सुबह स्नान करें और किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग पर चंदन, धतूरा, आंकड़े के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, चावल, फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, दक्षिणाए सूखे मेवे, मिश्री, पान शिवलिंग पर चढ़ाएं.
शिव-पार्वती के मंत्र
शिवजी और मां पार्वती दोनों को प्रसन्न करने के लिए ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नम: का पाठ जरूर करें, इस एक मंत्र से दोनों प्रसन्न हो जाएंगे. अगर आप चाहें तो शिव-पार्वती के अलग-अलग मंत्रों का जाप का भी कर सकते हैं. कम से कम 108 बार शिव मंत्र : ऊँ सांब सदा शिवाय नम: और पार्वती मंत्र : ऊँ गौर्ये नम: का जाप करें.
पूजा की सरल विधि
- घर के मंदिर में शिव-पार्वती के सामने पूजा करने का संकल्प करें. घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में शिव-पार्वती की पूजा का प्रबंध करें. अगर आप विवाहित हैं तो जीवन साथी के साथ आसन पर बैठें और अविवाहित हैं तो अपने माता-पिता के साथ पूजा कर सकते हैं. पूजा में सबसे पहले गणेशजी का पूजन करें. पत्नी को पति के बाएं हाथ की ओर बैठना चाहिए.
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- गणेशजी को स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें. गंध, हार-फूल, चावल, प्रसाद, जनेऊ आदि चीजें चढ़ाएं.
- इसके बाद शिव-पार्वती की पूजा करें. शिव-पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग को स्नान कराएं. जल से शिवलिंग को स्नान कराएं, इसके बाद पंचामृत से और फिर जल से स्नान कराएं. पंचामृत दूध, दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर बनाएं.
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- शिव-पार्वती को वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद फूल चढ़ाएं. शिवलिंग को चंदन से तिलक करें. माता पार्वती को यानी शिवलिंग की जलाधारी को या माता पार्वती की प्रतिमा पर कुमकुम से तिलक करें. पूजा में शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप करते रहें.
- आंकड़े के फूल, चंदन, धतूरा, चावल, बिल्वपत्र, जनेऊ, प्रसाद के लिए फल, दूध, मिश्री, पान, दक्षिणा, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शिवलिंग पर चढ़ाएं.
- अब धूप-दीप जलाएं. घी या तेल का दीपक जला सकते हैं. भगवान की आरती करें. आरती में कर्पूर भी जलाएं. शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें.
- पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें. पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें. ध्यान रखें इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा जरूर करें.
शिवजी की आरती
ऊँ जय शिव ओंकारा, भोले हर शिव ओंकारा.
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा
ऊँ हर हर हर महादेव...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे.
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
ऊँ हर हर हर महादेव..
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे.
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
ऊँ हर हर हर महादेव..
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी.
चंदन मृग मद सोहै भोले भंडारी
ऊँ हर हर हर महादेव..
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
ऊँ हर हर हर महादेव..
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता.
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता
ऊँ हर हर हर महादेव..
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका
ऊँ हर हर हर महादेव..
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
ऊँ हर हर हर महादेव..
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
ऊँ हर हर हर महादेव..
ऊँ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा.
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा . .
ऊँ हर हर हर महादेव..... .
Source : News Nation Bureau