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Shivratri and Mahashivratri Difference: कहीं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में कन्फ्यूज तो नहीं आप, जान लें अंतर

Shivratri and Mahashivratri Difference: भगवान शंकर को भोले भंडारी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं

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Mohit Sharma
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Shivratri and Mahashivratri Difference

Shivratri and Mahashivratri Difference( Photo Credit : News Nation)

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Shivratri and Mahashivratri Difference: भगवान शंकर को भोले भंडारी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, ऐसे में उनके भक्त कभी उपवास रखकर और कभी उनकी पूजा अर्चना कर अपने आराध्य शिव को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. शिव पुराण में ऐसी कई महत्वपूर्ण तिथियों का जिक्र किया गया है, जिन पर पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं. इन तिथियों में सोमवार, सावन के सोमवार, प्रदोष व्रत, शिव रात्रि और महाशिवरात्रि शामिल हैं. ऐसे में कुछ लोग शिवरात्रि और महाशिवरात्रि को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं और दोनों के अंतर नहीं जान पाते. आज हम आपके कन्फ्यूजन को दूर करते हुए दोनों व्रत में अंतर बताने जा रहे हैं. 

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि: उनके अंतर

भारतीय हिंदू परंपरा में, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही महत्वपूर्ण त्योहार हैं जो भगवान शिव को समर्पित हैं. यह दोनों ही त्योहार शिवभक्तों के लिए प्राचीन और पवित्र माने जाते हैं, लेकिन इन दोनों में थोड़ा-बहुत अंतर होता है. इस लेख में, हम शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बारे में उनके अंतर को समझेंगे.

शिवरात्रि:

महत्व:
शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसे भगवान शिव की पूजा और उनके समर्पण में मनाया जाता है. यह त्योहार शिव के प्रसिद्ध भक्त हैं, जो इस दिन शिव के दर्शन करने के लिए तीव्र भावना के साथ उनके मंदिरों में जाते हैं.

क्रियाएँ:
शिवरात्रि के दिन, शिव भक्त उनके पसंदीदा मंदिरों में जाकर उनकी पूजा करते हैं. वे भगवान शिव के लिए फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, और ध्यान आदि की अर्पणा करते हैं. विशेष रूप से भगवान शिव की मूर्तियों के आगे लंगर (भोजन) का प्रसाद बांटा जाता है.

महाशिवरात्रि:

महत्व:
महाशिवरात्रि, जिसे हिंदी में "महा" या "बड़ा" और "शिवरात्रि" के रूप में जाना जाता है, हिंदू पंचांग के मास फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. यह एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है जिसे पूरे भारत वर्ष में उत्साह से मनाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की महापर्वती द्वारा उनकी अभिन्न भागिनी और पत्नी पार्वती की रात्रि में विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

क्रियाएँ:
महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है. लोग शिवलिंग पर दूध, गंगाजल, धूप, दीप, फल, और पुष्प चढ़ाते हैं. इस रात्रि में लोग शिव की अराधना करते हैं, और उन्हें नाम जाप, भजन, आरती और कथा की सुनाई जाती है. इस दिन के पारण काल में भक्त व्रत रखते हैं और रात्रि भर जागरण करते हैं.

अंतर:

तिथि: शिवरात्रि हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, जबकि महाशिवरात्रि हिंदू पंचांग के मास फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है.

महत्व: शिवरात्रि भगवान शिव की पूजा के लिए मनाई जाती है, जबकि महाशिवरात्रि भगवान शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाई जाती है.

क्रियाएँ: शिवरात्रि पर भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं और पूजा करते हैं, जबकि महाशिवरात्रि पर भक्त रात्रि भर जागरण करते हैं और व्रत रखते हैं.

समाप्ति: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही शिव के महत्व को याद करने के लिए मनाए जाते हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर होता है जो उन्हें विभिन्न बनाता है.

समाप्ति:

इस प्रकार, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही भगवान शिव को समर्पित त्योहार हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर होता है जो उन्हें विशेष बनाता है. ये त्योहार हिंदू संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और भक्तों के लिए आनंद का स्रोत हैं.

Source : News Nation Bureau

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