भाद्रपद मास की पूर्णिमा और अश्विनी माह कृष्ण पक्ष की पतिप्रदा से शुरू होने वाले श्राद्ध हिंदु धर्म में काफी महत्वपूर्ण हैं. पितरों को याद करने और प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले श्राद्ध इस साल 13 सितंबर यानी शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं. भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष के पंद्रह दिन पितृपक्ष कहे जाते हैं. श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, पंद्रह दिन और 17 दिन का कर्मकांड करते हैं. इस दौरान पूर्वजों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध किया जाता. पौराणिक मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर किया जाने वाला पिंडदान सीधे उन तक पहुंचता है और उन्हें सीधे स्वर्ग तक ले जाता है.
इस बार एक साथ होगा दशमी और एकादशी का श्राद्ध
बताया जा रहा है कि इस साल पितृपक्ष में दशमी और एकदशी का श्राद्ध एक ही दिन होगा. दरअसल 24 सितंबर को दशमी 11.42 तक रहेगी और फिर एकादशी लग जाएगी. ऐसे में मध्य समय में दोनों तिथियों का योग होने से श्राद्ध एक ही दिन होगा.
इस दिन करें श्राद्ध
इस दौरान जिस शख्स की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है. यहां महीने से कोई लेना देना नहीं होता. जैसे किसी की मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई, तो उसका श्राद्ध पितृपक्ष में प्रतिपदा तिथि को करना चाहिए. यही नहीं जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए. साथ ही किसी की अकाल मृत्यु यानी गिरने, कम उम्र, या हत्या ऐसे में उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि को ही किया जाता है. इस साल पितृ पक्ष 28 सितंबर को खत्म होंगे.
किस दिन कौन सा श्राद्ध?
इस साल 13 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा. इसके बाद 14 सितंबर को प्रतिपदा, 15 को द्वितीया का श्राद्ध होगा. 16 को कोई श्राद्ध नहीं होगा क्योंकि इस दिन मध्याह्न तिथि नहीं मिली है. फिर इसके बाद 17 को तृतीया, 18 को चतुर्थी, 19 को पंचमी, 20 को षष्ठी, 21 को सप्तमी, 22 को अष्टमी, 23 को मातृ नवमी, 24 को दशमी और एकादशी दोनों तिथि का श्राद्ध होगा. 25 को द्वादशी, 26 को त्रयोदशी, 27 को चतुर्दशी, 28 को अमावस्या का श्राद्ध के साथ पितृ विसर्जन होगा.
ऐसे करें श्राद्ध
पितृपक्ष में प्रत्येक दिन स्नान करे और इसके बाद पितरों को जल, अर्घ्य दें. इस दौरान तिल, कुश और जौ को जरूर रखें. इसके साथ ही जो श्राद्ध तिथि हो उस दिन पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करें.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो