Lord Krishna Temple: दाऊजी का मंदिर, ये मध्यप्रदेश के मुरैना शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूर पर स्थित है. कहते हैं यहां हर साल भगवान श्रीकृष्ण साढ़े तीन दिनों के लिए आते हैं. वो यहां के मेहमान बनकर आते हैं खातिरदारी करवाते हैं और फिर ऐसा आशीर्वाद देकर जाते हैं जिसके बाद 15-20 दिनों में इस गांव के प्रमुख के घर एक बच्चा जन्म लेता है. ये कहानी अब पौराणिक नहीं बल्कि वर्तमान की है. भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद साक्षात आज भी यहां लोगों को देखने को मिलता है. ये प्रथा कैसे शुरु हुई और इससे जुड़ी मशहूर कहावत क्या है आइए आपको सब बताते हैं.
मेहमान बनकर यहां कब आते हैं भगवान श्रीकृष्ण
मुरैना के पास दाऊजी मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. भगवान श्री द्वारिकाधीश को ही दाऊजी कहा जाता है. मान्यता है कि दीवाली के दूसरे दिन जब गोवर्धन पूजा होती है तो उस समय स्वयं भगवान श्रीकृष्ण यहां मेहमानी करवाने आते हैं. गोकुल में जैसे ही ये गोवर्धन पूजा का समापन होता है वैसे ही मध्यप्रदेश के मुरैना में दाऊजी के मंदिर में महोत्सव का आयोजन होता है. लोग उनकी खातिरदारी की खास तैयारियां करते हैं. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण यहां साढ़े तीन दिनों के लिए आते हैं. इस दौरान द्वारिका में भगवान के मंदिर के पट भी बंद कर दिए जाते हैं और मुरैना में जश्न मनाया जाता है. भगवान यहां पर कृपा बरसाते हैं. ये आयोजन देखने के लिए भक्त देश-विदेश ये यहां माथा टेकने आते हैं.
कहते हैं जो भी इस गांव का मुखिया होता है उसके घर में इस महाउत्सव के बाद 15-20 दिनों में एक संतान का जन्म होता है.
क्षेत्रिय कहावत
क्षेत्रीय भाषा में एक कहावत है कि 'कलि में आए करौली न देखी और न देखि मुरैना की लीला' तो आपका जीवन व्यर्थ है. आसान भाषा में इस कहावत को समझा जाए तो इसका अर्थ होता है कलियुग में राजस्थान के करौली में विराजमान राज-राजेश्वरी मां भवानी और मुरैना गांव में स्थित दाऊजी (द्वारिकाधीश के प्रतिरूप) के दर्शन नहीं किए तो इंसान का जीवन बेकार है.
भगवान श्रीकृष्ण पिछले 300 सालों से यहां मेहमानी करवाने आ रहे हैं. हर यहां उनका जन्मोत्सव भी यहां पर धूमधाम से मनाया जाता है. तो आप भी अगर कृष्ण भक्त हैं और आपने अब तक उनकी इस लीला को नहीं देखा है तो मुरैना घूमने चले जाइए
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