आज शनिवार है. शनिवार को शनि देव की पूजा अर्चना की जाती है. भाद्रपद में शनि देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. शनि देव के बारे में बताया गया है कि अगर वो नाराज होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में बहुत सारी परेशानियां आने लगती है. वो नाराज होने वाले शख्स को बेहद परेशान करते हैं. वहीं शनि देव के बारे में यह भी कहा गया है कि जब वो किसी पर खुश होते हैं तो उसे रंक से राजा बना देते हैं. शनि देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है. शनि देव को कलियुग का दंडाधिकारी भी बताया गया है. यही कारण है कि हर कोई शनि देव को शांत रखना चाहता है.
भाद्रपद का मास चल रहा है. इस महीने में शनि देव की पूजा फलदायी मानी जाती है. पंचाग के अनुसार 4 सितंबर को शनिवार है. इस दिन प्रात: 08 बजकर 26 मिनट तक द्वादशी की तिथि रहेगी. इस तिथि में एकादशी व्रत का पारण किया जाता है. इसके बाद त्रयोदशी की तिथि आरंभ होगी. त्रयोदशी की तिथि को प्रदोष व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है. शनिवार के दिन त्रयोदशी की तिथि होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है.
शनि देव शिव के भक्त है
शनि देव को भगवान शिव का भक्त बताया गया है. शनि, सूर्य के पुत्र हैं. पिता से नाराज होने पर एक बार शनि देव ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनि देव को सभी ग्रहों का न्यायाधीश बनाया था. प्रदोष व्रत पर इसीलिए शनि देव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इसके साथ ही शनि देव की पूजा का एक और संयोग बन रहा है.
04 सितंबर 2021 को पुष्य नक्षत्र है
पंचांग के अनुसार 04 सितंबर, शनिवार को पुष्य नक्षत्र बना हुआ है. जो शाम 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. पुष्य नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में सबसे शुभ माना गया है. पुष्य नक्षत्र में पूजा और शुभ कार्य करने से अत्यंत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं. पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा भी बताया गया है. इस बार शनिवार के दिन बनने वाले विशेष संयोगों के कारण शनि देव की पूजा का महत्व बढ़ जाता है.
कैसे करें पूजा
सुबह या फिर शाम को स्नान आदि करने के बाद पूजा करें.
शनि देव को तेल से स्नान कराए. काले कपड़े अर्पण करे.
इसके बाद शनि देव की आरती करें.
फिर चालीसा का पाठ करें.
शनिवार को काला वस्त्र पहनना अच्छा माना जाता है.