Advertisment

Shivling Parikrama: सावधान!! शिवलिंग की परिक्रमा पूरी नहीं सिर्फ आधी की जाती है... क्यों जानिए कारण

Shivling Parikrama Rules: सावन के महीने में शिव की भक्ति में मग्न भक्त पूरे जोश के साथ उनकी पूजा और अर्चना करते हैं. ऐसे में न्यूज़ नेशन का प्रयास है कि आपसे कोई भूल ना हो जाए और आपको पूजा का पूरा फल मिले. तो जानते हैं शिवलिंग की परिक्रमा का नियम

author-image
Inna Khosla
New Update
Shivling Parikrama Rules

Shivling Parikrama Rules( Photo Credit : Social Media)

Shivling Parikrama: सावन में कालों के काल महाकाल की भक्ति में लीन श्रद्धालुओं को ये बताना बेहद जरूरी है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए. अगर आप शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और उसकी परिक्रमा भी करते हैं तो आपके लिये ये स्टोरी पढ़ना बहुत ही जरुरी है. शिवलिंग की परिक्रमा का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक, और भावनात्मक है. हिंदू धर्म में प्रदक्षिणा, फेरी या परिक्रमा  के रूप में जाना जाता है. धर्म शास्त्र और शिवपुराण में भी आपको ये नियम को पढ़ने को मिलेगा. 

Advertisment

क्यों करते हैं शिवलिंग की आधी परिक्रमा

मान्यता के अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल की परिक्रमा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं. हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, और जैन धर्म में परिक्रमा के खास महत्व हैं. लेकिन सिर्फ शिवलिंग ही है जिसकी आधी परिक्रमा की जाती है. इसका कारण भी जान लें. सबसे पहले तो आप ये जान लें कि शिवलिंग की आधी परिक्रमा को चंद्राकार कहा जाता है. कहते हैं कि जलधारी शिव को लांघना शुभ नहीं होता. शिवलिंग पर आप जो जल और दूध चढ़ाते हैं वो चढ़ाने के बाद पवित्र हो जाता है. और वो जिस रास्ते निकलता है उसे जलाधारी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शक्ति के प्रतीक शिव की ऊर्जा उस जल में आ जाती है और जो उसे लांघता है वो उसके अंदर प्रवेश करती है और ये शुभ नहीं होता. ऐसा करने से व्यक्ति को वीर्य या रज से संबंधित शारीरिक परेशानी भी हो सकती है.

शिवलिंक की परिक्रमा करने का महत्त्व

Advertisment

भक्ति और समर्पण: शिवलिंग की परिक्रमा भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. भक्त शिवलिंग को पूजते समय उसके चारों ओर परिक्रमा करके अपना श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिससे भक्ति और निष्ठा का संबंध मजबूत होता है.

अभिवादन और सम्मान: परिक्रमा करने से भक्त शिवलिंग को सम्मानित महसूस करता है और इससे उसके अभिवादन का अहसास होता है. यह शिव के सामने अपनी भक्ति और प्रेम का प्रदर्शन करने का एक उपाय है.

धार्मिक माहत्व: शिवलिंग की परिक्रमा धार्मिक और आध्यात्मिक माहत्व रखती है. यह भक्तों को अधिक धार्मिक अनुष्ठान के प्रति प्रेरित करती है और उन्हें आध्यात्मिक साधना में लगाने में मदद करती है.

Advertisment

सांसारिक चक्र से मुक्ति: परिक्रमा करने से सांसारिक चक्र से मुक्ति की प्राप्ति होती है. शिवलिंग की परिक्रमा के द्वारा भक्त अपने जीवन में अटूट भक्ति और ध्यान के माध्यम से आत्मा को प्रकट करने का प्रयास करता है.

एकांत और मनन: शिवलिंग की परिक्रमा करने से भक्त को अपने अंतरंग मनन के लिए समय मिलता है. इस प्रक्रिया के दौरान भक्त अपने मन को शांत करता है और अपने आंतरिक संयम का विकास करता है.

भारतीय  धार्मिक संस्कृति  में शिवलिंग की परिक्रमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है और शिव के भक्तों के लिए इसका आध्यात्मिक और भावनात्मक महत्व है. तो आप अगर अब तक शिवलिंग की परिक्रमा नहीं करते थे तो अब नियमों का पालन करते हुए शुरु कर सकते हैं. अगर आप पूरी परिक्रमा करते थे तो अब जलाधारी शिव के शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें. 

Advertisment

इसी तरह की और स्टोरी पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म सेक्शन पर फॉलो करते रहें. 

Source : News Nation Bureau

Shivling Parikrama sawan 2023 sawan Shivling parikrama rules mandir parikrama rules
Advertisment
Advertisment