Advertisment

Significance Of Durva: जब एक दैत्य को निगल गए श्री गणेश और फिर दूर्वा से मिटी पीड़ा

Significance Of Durva: दूर्वा भगवान गणेश को अति प्रिय है. गणेश जी की पूजा में दूर्वा का उपयोग अत्यंत लाभकारी है. लेकिन धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के लिए खास मंत्र और नियम बताए गए हैं.

author-image
Gaveshna Sharma
New Update
Significance Of Durva

जब एक दैत्य को निगल गए श्री गणेश और फिर दूर्वा ने मिटाई पीड़ा ( Photo Credit : Social Media)

Significance Of Durva: भगवान गणेश की पूजा में मोदक का भोग और दूर्वा चढ़ाने का विशेष रूप से महत्व होता है. दूर्वा चढ़ाने से सभी तरह के सुख और संपदा में वृद्धि होती है. बिना दूर्वा के भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है.  गणेश जी की पूजा में दूर्वा का उपयोग अत्यंत लाभकारी है. लेकिन धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के लिए खास मंत्र और नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं आखिर क्यों भगवान गणेश (Lord Ganesha) को दूर्वा चढ़ाया जाता है? और क्या है इसके पीछे की कथा और नियम.

Advertisment

यह भी पढ़ें: Chanakya Niti about Married Life: शादी से पहले लड़के के बारे में जानें ये जरूरी बातें, वरना बाद में झेलना पड़ेगा दुख

क्या है कथा (what is the story)

- एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था, उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी. अनलासुर एक ऐसा दैत्य था, जो मुनि-ऋषियों और साधारण मनुष्यों को जिंदा निगल जाता था. 

- इस दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर इंद्र सहित सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि भगवान महादेव से प्रार्थना करने जा पहुंचे और सभी ने महादेव से यह प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का खात्मा करें. 

- तब महादेव ने समस्त देवी-देवताओं तथा मुनि-ऋषियों की प्रार्थना सुनकर उनसे कहा कि दैत्य अनलासुर का नाश केवल श्री गणेश ही कर सकते हैं. 

- फिर सबकी प्रार्थना पर श्री गणेश ने अनलासुर को निगल लिया, तब उनके पेट में बहुत जलन होने लगी. 

- इस परेशानी से निपटने के लिए कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी जब गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हुई, तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं. 

- यह दूर्वा श्री गणेशजी ने ग्रहण की, तब कहीं जाकर उनके पेट की जलन शांत हुई. ऐसा माना जाता है कि श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा तभी से आरंभ हुई.

भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने नियम (Rules for offering Durva to Lord Ganesha)

- भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से पहले उसे साफ पानी से जरूर धोएं. 

- इस बात का ध्यान रखें कि दूर्वा किसी मंदिर, बगीचे या साफ स्थान पर उगी हुई होनी चाहिए. 

Advertisment

- उस स्थान का दूर्वा भगवान गणेश को नहीं चढ़ाएं, जहां गंदे पानी आता हो . 

यह भी पढ़ें: Significance Of Copper Utensils During Puja: पूजा-पाठ के दौरान किया जाता है तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल, जानें इसकी वजह कमाल

- पूजा में हमेशा दूर्वा का जोड़ा बनाकर भगवान को चढ़ाएं. 

- भगवान गणेश को दूर्वा घास के 11 जोड़ों को चढ़ाना चाहिए.

- दूर्वा चढ़ाते समय गणेशजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए.

दूर्वा चढ़ाते वक्त इन मंत्रों को बोले (Mantra For Offering Durva)

- ऊँ गं गणपतेय नम:

- ऊँ गणाधिपाय नमः

- ऊँ उमापुत्राय नमः

- ऊँ विघ्ननाशनाय नमः

- ऊँ विनायकाय नमः

- ऊँ ईशपुत्राय नमः

- ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:

- ऊँ एकदन्ताय नमः

- ऊँ इभवक्त्राय नमः

- ऊँ मूषकवाहनाय नमः

- ऊँ कुमारगुरवे नमः

lord ganesh गणेश पूजा के नियम ganesh puja rules Significance Of Durva दूर्वा खास मंत्र और नियम ganesh puja niyam special mantras and rules durva do not offer these things to ganesh ji
Advertisment