हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व होता है. वैशाख के महीने (vaishakh month 2022) में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां सीता प्रकट (sita navami) हुई थी. इसलिए, हर साल इस दिन जानकी नवमी, सीता नवमी, सीता जयंती (sita navami 2022) के रूप में मनाते हैं. सीता नवमी के दिन सुहागिनें भगवान श्रीराम और माता सीता (sita navami 2022 hindi) की विधिवत पूजा करती हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से सुहागिनों का सुहाग बना रहता है और घर में सुख शांति बनी रहती है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि सीता नवमी का व्रत का महत्व और पूजा विधि क्या है.
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सीता नवमी 2022 पूजन विधि
सीता नवमी के दिन सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें. उसके बाद घर में रखे गंगाजल से भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति को स्नान कराएं. इसके बाद घर में मंदिर या पूजा स्थल पर माता सीता और भगवान राम की विधि पूर्वक पूजा करें और भोग लगाएं. इनके सामने दीपक जलाएं. अब भगवान राम और माता सीता की आरती करें. उसके बाद अंत में लगाए गए भोग को प्रसाद के रूप में वितरित (Sita Navami 2022 Puja Vidhi) करें.
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सीता नवमी 2022 महत्व
कहा जाता है कि सीता नवमी के दिन व्रत रखकर सुहागिनें भगवान श्रीराम और सीता माता की विधि विधान से पूजा करें तो उन्हें मनवांछित वर प्राप्त होता है. कहा जाता है कि व्रत रखने और पूजा करने से घर में सुख शांति और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. शास्त्र मत है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से कई तीर्थयात्राओं और दान पुण्य के बराबर फल (Sita Navami 2022 significance) मिलता है.