28 मई को स्कंद षष्ठी पड़ रही है. इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. दरअसल षष्ठी का दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भगवान भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से आस-पास की नकारात्मकतकता खत्म हो जाती है और लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार होता है. भगवान कार्तिके को स्कंद देव के नाम से भी जाना जाता है इसलिए इस तिथि को स्कंद षष्ठी के कहा जाता है.
दरअसल षष्ठी के दिन ही भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था, इसलिए भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत करने से आस-पास की सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और संतान के कष्ठ भी दूर हो जाते हैं. इस त्योहार का खासकर दक्षिण भारत में काफी महत्व है. दक्षिण भारत के लोग इस त्योहार को उत्सव की तरह मनाते हैं. दरअसल दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को भगवान गणेश का छोटा भाई माना गया है. इसलिए चतुर्थी तिथि जहां भगवान गणेश के लिए समर्पित है तो वहीं षष्ठी तिथि कार्तिकेय का दिन मानी जाती है.
पूजा विधि
इस दिन प्रात: उठकर स्नान कर और साफ कपड़े पहनकर स्ंकद तदेव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन स्कंद देव को स्नान करवाकर और नए कपड़े पहनाकर सच्चे मन से उनकी पूजा करनी चाहिए. इस दिन स्कंद देव पर दही में सिंदूर मिलाकर चढ़ाना काफी शुभ माना गया है. इस दिन ऐसा करने से सारी व्यवसायिक कष्ट दूर हो जाते हैं और आर्थिक स्थिति भी अच्छी बनी रहती है. इन दिन दान का भी काफी महत्व हैं. कहा जाता है कि इस दिन दान करने से विशेष फल मिलता है.
Source : News Nation Bureau