Skanda Sashti 2024: हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है. यह दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है. भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की योग्य संतान कार्तिकेय सभी भक्तों के जीवन में सौभाग्य बरसाते हैं. ऐसे में आज यानी कि 10 अगस्त को सावन मास की स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है. मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि को भगवान स्कंद (कार्तिकेय) का जन्म हुआ था. इस दिन विशेष पूजा और व्रत रखने का प्रावधान है. ऐसा करने से साधक को शुभ फल प्राप्त होता है. ऐसे में आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.
स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त
धार्मिक पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त 10 अगस्त सुबह 3 बजकर 14 मिनट पर शुरू होकर इस तिथि का समापन 11 अगस्त की सुबह 5 बजे 44 मिनट पर होगा जिसके अनुसार 10 अगस्त, शनिवार को स्कन्द षष्ठी मनाई जाएगी. ये त्योहार मुख्य रूप से दक्षिणी भारत मे मनाया जाता है. जिसमें लोग भगवान कार्तिकेय के नाम का व्रत रखते है और उनकी पूजा करते हैं.
स्कंद षष्ठी का महत्व
ये त्योहार भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जिन्हें देवताओं का सेनापति कहा जाता है. माना जाता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से जीवन की बड़ी से बड़ी मुश्किल भी खत्म हो जाती है और अच्छा फल प्राप्त होता है. जिन लोगों को सन्तान नहीं होती, अगर वे इस दिन भगवान स्कंद की पूजा करें तो उन्हें एक अच्छी सन्तान जरूर प्राप्त होती है.
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करना चाहिए और फिर भगवान स्कंद की मूर्ति स्थापना के बाद श्रद्धा अनुसार पूजा करनी चाहिए. जो भक्त इस दिन व्रत रख सकते हैं, उन्हें जरूर रखना चाहिए. भगवान स्कंद की पूजा के दौरान उन्हें पुष्प, चन्दन और कपूर जरूर चढ़ाना चाहिए. पूजा के बाद मिठाई का भोग भी लगाना चाहिए. कार्तिकेय भगवान को मोर अत्यंत पसंद है. इसलिए उनकी पूजा में मोरपंख भी जरूर शामिल करना चाहिए.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)