Advertisment

...तो महाभारत के बाद ऐसे हुई थी पितृपक्ष की शुरुआत, जानें श्राद्ध की पौराणिक कथा

आज से पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत हो गई है. हिंदू धर्म (HIndu Religion) की मान्‍यता के अनुसार, देह त्‍यागकर चले गए परिजनों की आत्‍मा की तृप्‍ति के लिए सच्‍ची श्रद्धा से जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं.

author-image
Sunil Mishra
New Update
demo

तो महाभारत के बाद ऐसे हुई थी पितृपक्ष की शुरुआत, जानें श्राद्ध की कथा( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

आज से पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत हो गई है. हिंदू धर्म (HIndu Religion) की मान्‍यता के अनुसार, देह त्‍यागकर चले गए परिजनों की आत्‍मा की तृप्‍ति के लिए सच्‍ची श्रद्धा से जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध (Shradha) पक्ष में मृत्यु के देवता यमराज जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वो परिजनों के यहां जाकर तर्पण (Tarpan) ग्रहण कर सकें. घर के परिजन चाहे विवाहित हों या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष, अगर उनकी मृत्‍यु हो गई है तो उन्‍हें पितर कहते हैं. इन्‍हीं पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है. तर्पण से पितर खुश हो गए तो घर में खुशहाली आती है. पितरों को लेकर महाभारत (Mahabharat) की एक कथा का जिक्र किया जाता है. उस कथा से ज्ञात होता है कि महाभारत के बाद से ही पितृपक्ष मनाया जाता है. जानें कथा के बारे में:

ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण के निधन के बाद उनकी आत्‍मा स्‍वर्ग पहुंच गई. वहां उन्‍हें नियमित भोजन के बदले सोने और अन्‍य गहने आदि खाने के लिए दिए गए. इससे परेशान कर्ण की आत्‍मा ने इंद्रदेव से इसका कारण पूछा. इस पर इंद्रदेव ने कर्ण की आत्‍मा को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को भोजन दान नहीं दिया. तब कर्ण ने कहा कि वो पूर्वजों के बारे में नहीं जानता था. इसके बाद इंद्रदेव ने कर्ण की आत्‍मा को 15 दिनों के लिए पृथ्वी पर जाने को कहा, ताकि अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके. 15 दिन की इसी अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है.

परिजन की मौत जिस तिथि को हुई होती है, उसे श्राद्ध की तिथि कहते हैं. हालांकि कई लोगों को मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती तो वैसी स्‍थिति में शास्त्रों के अनुसार आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है. इसी कारण पितृपक्ष के अमावस्‍या को सर्वपितृ अमावस्या बोलते हैं.

Source : News Nation Bureau

Hindu Religion एमपी-उपचुनाव-2020 mahabharat pitru paksha महाभारत पितृपक्ष श्राद्ध pitru paksha 2020 Tarpan तर्पण Danveer Karna Lord Indra Swarg दानवीर कर्ण इंद्रदेव स्‍वर्ग
Advertisment
Advertisment
Advertisment