Navratri Special: पौराणिक कथा के अनुसार माता दुर्गा (Durga) ने राजा प्रजापति दक्ष के घर में सती के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव से उनका विवाह हुआ. एक बार ऋषि-मुनियों ने यज्ञ आयोजित किया था. जब राजा दक्ष वहां पहुंचे तो महादेव को छोड़कर सभी खड़े हो गए. यह देख राजा दक्ष को बहुत क्रोध आया. उन्होंने अपमान का बदला लेने के लिए फिर से यज्ञ का आयोजन किया. इसमें शिव और सती को छोड़कर सभी को आमंत्रित किया. जब माता सती (Mata sati) को इस बात का पता चला तो उन्होंने आयोजन में जाने की जिद की. शिवजी के मना करने के बावजूद वो यज्ञ में शामिल होने चली गईं.
यज्ञ स्थली पर जब माता सती (Mata sati) ने पिता दक्ष से शिवजी को न बुलाने का कारण पूछा तो उन्होंने महादेव के लिए अपमानजनक बातें कहीं. इस अपमान से माता सती (Mata sati) को इतनी ठेस पहुंची कि उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहूति दे दी. वहीं, जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया.
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उन्होंने सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठा लिया और पूरे भूमंडल में घूमने लगे. मान्यता है कि जहां-जहां माता सती (Mata sati) के शरीर के अंग गिरे, वो शक्तिपीठ बन गया. इस तरह से कुल 51 स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्मामामाण हुआ. वहीं, अगले जन्म में माता सती (Mata sati) ने हिमालय के घर माता पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिव को पुन: प्राप्त कर लिया.ये स्थान अलग अलग धर्म ग्रंथो में अलग अलग है.हम इन जगहों को देवी पुराण के अनुसार 51 मानते है जो मां सती के शक्ति पीठ कहलाये. ये अत्यंत पावन तीर्थ स्थान है जिनके दर्शन मात्र से कल्याण होता है.
मुख्य 9 शक्तिपीठ
- कालीघाट मंदिर कोलकाता- पांव की चार अंगुलियां गिरी
- कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर- त्रिनेत्र गिरा
- अम्बाजी का मंदिर गुजरात- हृदय गिरा
- नैना देवी मंदिर- आंखों का गिरना
- कामाख्या देवी मंदिर- योनि गिरा था
- हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन बायां हाथ और होंठ यहां पर गिरे थे
- ज्वाला देवी मंदिर सती की जीभ गिरी
- कालीघाट में माता के बाएं पैर का अँगूठा गिरा था. इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं.
- वाराणसी:- विशालाक्षी उत्तरप्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर माता के कान के मणिजड़ीत कुंडल गिरे थे. इनकी शक्ति है विशालाक्षी मणिकर्णी और भैरव को काल भैरव कहते हैं.
Source : शंकरेष के.