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History of Amarnath: बाबा अमरनाथ की यात्रा करने से पहले जानें बाबा बर्फानी की अमरकथा

Amarnath Yatra 2023: अगर आप इस साल बाबा बर्फानी के दर्शन करने जा रहे हैं तो उससे पहले बाबा अमरनाथ की ये अमरकथा जान लें. आपकी भक्ति को और शक्ति देने वाली इस कथा का बहुत महत्त्व है

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Inna Khosla
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Amarnath yatra

Amarnath Yatra( Photo Credit : Social Media)

History of Amarnath: हर हर महादेव... ये जयकारा आपको अमरनाथ की यात्रा के दौरान 24 घंटे सुनायी देगा. देश-विदेश से आने वाले सभी श्रद्धालू यहां दिन-रात सच्चे मन से सिर्फ बाबा का नाम लेते ही नज़र आएंगे. हर साल कुछ ही दिनों के लिए बाबा बर्फानी के दर्शन करने का मौका मिलता है. आधुनिक काल में बाबा अमरनाथ या बाबा बर्फानी के नाम से प्रसिद्ध इस तीर्थ धाम को प्राचीनकाल में अमरेश्वर महादेव का स्थान कहा जाता था. ये दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है. बाबा अमरनाथ धाम का शिवलिंग श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है. अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में है जो पहलगाम से 46-48 किमोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर है. 

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बाबा अमरनाथ गुफा की कहानी

हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है बाबा अमरनाथ गुफा का तीर्थ धाम. शास्त्रों के अनुसार इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था. तो आइए जानते हैं अमरनाथ की अमरकथा. एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनकी अमरता की वजह पूछी, इस पर भोलेनाथ ने उन्हें अमर कथा सुनने के लिए कहा. पार्वती जी अमर कथा सुनने को तैयार हो गईं. इसके लिए वह एक ऐसी जगह तलाशने लगे, जहां कोई और ये अमर होने का रहस्य न सुन पाए. आखिरकार वह अमरनाथ गुफा पहुंचे.

अमरनाथ गुफा पहुंचने से पहले शिवजी ने नंदी को पहलगाम में, चंद्रमा को चंदनवाड़ी में, सर्प को शेषनाग झील के किनारे, गणेशजी को महागुण पर्वत पर, पंचतरणी में पांचों तत्वों (धरती, जल, वायु, अग्नि और आकाश) को छोड़ दिया. पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा पहुंचकर शिवजी ने समाधि ली. फिर उन्होंने कलाग्नि को गुफा के चारों ओर मौजूद हर जीवित चीज को नष्ट करने का आदेश दिया, जिससे कोई और अमर कथा न सुन सके. इसके बाद शिवजी ने पार्वती को अमरता की कथा सुनाई, लेकिन कबूतर के एक जोड़े ने भी ये कथा सुन ली और अमर हो गया. इतने ऊंचे और ठंड वाले इलाके में इन कबूतरों का जीवित रहना हैरान करता है. अंत में, शिव और पार्वती अमरनाथ गुफा में बर्फ से बने लिंगम रूप में प्रकट हुए, जिनका आज भी प्राकृतिक रूप से निर्माण होता है और श्रद्धालु उसी के दर्शन के लिए जाते हैं.

Amarnath Yatra 2023

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कैसी है अमरनाथ गुफा

पवित्र गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है. इस गुफा में बर्फ का शिवलिंग बनता है. गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है. बर्फ जैसी ठंड की वजह से पानी जम जाता है जिससे बर्फ के शिवलिंग का आकार बनता है. बर्फ के प्रमुख शिवलिंग के बाईं ओर दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है. 

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तो आप अगर Amarnath Yatra 2023 की तैयारी कर रहे हैं तो आप इस कथा को पढ़ने के बाद इस पवित्र स्थान के बारे में और बेहतर समझने लगेंगे. आप अगर जा रहे हैं तो 2 सफेद कबूतरों को इस गुफा में ढूंढने की कोशिश जरूर करिएगा. भगवान अमरनाथ की गुफा के सामने ही शेषनाग का पहाड़ भी है. यहां आपको एक से एक ऐसी कुदरत की बनी कलाकृतियां दिखेंगी कि आप भगवान हैं इस प्रमाण पर यकीन करने लगेंगे.

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Amarnath Yatra 2023 Registration Date amarnath yatra pilgrimage amarnath yatra Amarnath Yatra 2023
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