Jaya Kishori: स्त्री धर्म क्या है, जया किशोरी से जानें पति का नाम लेना चाहिए या नहीं ? 

Stri Dharm Kya Hai: हिंदू धर्म में स्त्रियों को देवी लक्ष्मी का दर्जा दिया जाता है. असली स्त्री धर्म क्या है और महिलाओं को अपने पति का नाम लेना चाहिए या नहीं कथावाचक जया किशोरी से जानिए.

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Inna Khosla
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Stri Dharm Kya Hai( Photo Credit : News Nation)

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Jaya Kishori: कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने स्त्री धर्म क्या है इस बारें बेहद खूबसूरत बात की है. आपको ये बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि हिंदू धर्म में स्त्री धर्म के बारे में क्या कहा गया है. प्राचीन भारत में, स्त्री धर्म का अर्थ था "स्त्री का कर्तव्य". यह धारणा कई धार्मिक ग्रंथों और सामाजिक रीति-रिवाजों में देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती हैं. स्त्रियों को पति, परिवार और समाज के प्रति समर्पित होने की अपेक्षा थी. उनकी भूमिकाएं मुख्य रूप से घरेलू और देखभाल करने वाली थीं, जिसमें पति की सेवा करना, बच्चों की परवरिश करना और घर का काम करना शामिल था.

स्त्री धर्म क्या है ? 

नारद जी ने युधिष्ठिर जी को स्त्रियों के धर्म के बारे में भी बताया था. स्त्रियों का क्या धर्म है? स्त्रियों से कहा गया है कि पति व्रता धर्म का पालन करना चाहिए. घर को साफ सुथरा रखें घर जितना साफ होगा लक्ष्मी घर पर आती है. घर में जितनी गंदगी होगी साफ सुथरा नहीं होगा, उथल पुथल होगा उससे दरिद्रता घर पर आती है. जया किशोरी ने एक प्रवचन के दौरान कहा कि इसलिए स्त्रियों को हर समय घर को साफ सुथरा रखना चाहिए. कोशिश करें, जो बहुत मुश्किल है, हर समय मुस्कुराते हुए रहें. जिस घर में हमेशा महिलाएं मुस्कुराती रहती है उस घर में सदा महिलाओं का वास रहता है.

जया किशोरी ने आगे कहा कि हालांकि, ये बहुत मुश्किल है. वो भी जानती हैं जब महिलाओं को घर पर रहना है, सब कुछ उन्हे ही संभालना है. पति तो सुबह जाते रात को आते है, दिनभर घर में क्या हुआ, कुछ नहीं पता. सब महिला के लिए पहले घर संभालो और फिर बच्चों को संभालना. छोटे बच्चे तो और कठिन उनको संभालना उसके बावजूद भी आपसे अगर कहा जाए कि आप मुस्कुराते रहिए, बड़ा मुश्किल है, लेकिन कोशिश करें.

स्त्री को घर की लक्ष्मी माना जाता है, वो जितना मुस्कुरा कर रहेंगी उतना अच्छा है घर के लिए. भले ही मुस्कुरा कर गुस्सा करे, हंसते हंसते डाटिए. हंसते-हंसते झगड़ा करिए पर मुस्कुराते हुए रहिए. 

स्त्रियों को पति का नाम लेना चाहिए या नहीं ? 

कथावाचर जया किशोरी ने आगे बताया कि, कहा जाता है पति का नाम मुख से नहीं लेना चाहिए. आजकल तो ये नहीं चलता इतना, पर गांव में अभी भी महिलाएं अपने पति का नाम मुख से नहीं लेती हैं. जो असल नाम है उनका जो असल नाम है वो मुख से नहीं लेना चाहिए. क्योंकि कहते हैं उससे पति की उम्र घटती है? 

इस पर एक भी प्रसंग है एक बार एक महिला अपने जेठ जी की बेटी चंपा के साथ कथा पर जाती है. वहां पर महाराज जी कथा कर रहे हैं. अब कथा के बीच जैसे भजन होते हैं सब भजन सुनते हैं तो महाराज जी ने भी भजन गाया . महाराज जी ने भजन गाया कि जय रघुनंदन, कंसनिकंदन, देवकीनन्दन तुम शरणम. अब सब भजन गा रहे हैं सिवाय उस महिला के, क्योंकि उनके पति का नाम था देवकीनंदन था. अब वो नहीं गा रही सब गा रहे हैं. अब महाराज जी को भी अटपटा लगने लगा के जीतने भक्त हैं सब गा रहे हैं सिवाए तुम्हारे, महाराज जी ने उनकी तरफ इशारा किया कि आप भी गाइए. अब महिला सोचने लगी कि अब तो महाराज जी ने भी मुझे देख लिया, क्या करूं? तभी उनका ध्यान चंपा पर पड़ता है तो वो गाने लगती है के जय रघुनंदन कंसनिकंदन चंपा के चाचा. अब इस दृश्य को देखकर ठाकुर जी भी ऊपर हंसने लगे. रुकमण जी ने कहा क्या हुआ? ठाकुर जी कहते हैं ऐसे तो मेरे भक्त मुझे कई नाम लेते हैं पर आज एक और नाम मिल गया चंपा के चाचा.

स्त्री धर्म की आधुनिक व्याख्या

नारीवादी दृष्टिकोण से, स्त्री धर्म का अर्थ है "स्त्री का सशक्तिकरण". इसका मतलब है कि स्त्रियों को अपनी पसंद बनाने और अपनी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. इसमें लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए लड़ना भी शामिल है.

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, स्त्री धर्म का अर्थ है "स्त्री की आध्यात्मिक यात्रा". इसका मतलब है कि स्त्रियों को अपने आंतरिक आत्म और ब्रह्मांड के साथ संबंध विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इसमें ध्यान, योग और अन्य आध्यात्मिक प्रथाओं का अभ्यास करना शामिल हो सकता है.

व्यक्तिगत दृष्टिकोण से, स्त्री धर्म का अर्थ है "एक स्त्री के रूप में जीवन का अर्थ और उद्देश्य". यह प्रत्येक स्त्री पर निर्भर है कि वह अपनी परिभाषा और अपनी यात्रा तय करे. इसमें अपनी रुचियों, मूल्यों और सपनों का पालन करना शामिल हो सकता है.

स्त्री धर्म एक गतिशील और विकसित हो रही अवधारणा है.  यह समय के साथ बदलती रहती है और अलग-अलग सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों से प्रभावित होती है.  आज, स्त्री धर्म का अर्थ प्रत्येक स्त्री के लिए कुछ अलग हो सकता है, लेकिन यह हमेशा महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने का अवसर प्रदान करने के बारे में है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source :News Nation Bureau

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