Ravivar ki Aarti: सूर्यदेव की आरती के साथ इस स्तुति और मंत्र का करें जाप, होगा महालाभ

Ravivar ki Aarti: रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद आपको ये आरती और सूर्य स्तुति जरूर पढ़नी चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से सूर्यदेव बेहद प्रसन्न होते हैं.

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Sushma Pandey
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Ravivar ki Aarti

Ravivar ki Aarti( Photo Credit : news nation)

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Ravivar ki Aarti: हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना जाता है. इस दिन सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. धा्र्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने से और व्रत रखने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जातकों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हैं तो ऐसे में उसे मजबूत करने के लिए कुछ उपायों को करने के साथ ही सूर्यदेव की आरती स्त्रोत और मंत्रों का भी जाप जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहेगी. यहां पढ़ें उनकी पूरी आरती, स्त्रोत और मंत्र. 

सूर्य स्तुति (Surya Dev Stuti)

नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।

इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।

सूर्यदेव के मंत्र (Surya Dev Ke Mantra)

1. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

3. ॐ सूर्याय नम: ।

4. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।

5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

6. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

7. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

सूर्यदेव की आरती (Surya Dev Ki Aarti)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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