Surya Mantra: ये हैं सूर्य के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही मिलती है नौकरी, प्रमोशन और तरक्की में सफलता

Surya Mantra: सूर्य का पूजन और मंत्र जप सफलता और ऊर्जा की वृद्धि के लिए किया जाता है. ये मंत्र जीवन में सफलता और ऊर्जा के साथ समृद्धि भी भरते हैं. सूर्य ग्रह का धार्मिक महत्व भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में बहुत महत्वपूर्ण है.

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Inna Khosla
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Surya Mantra

Surya Mantra ( Photo Credit : news nation)

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Surya Mantra: सूर्य का पूजन और मंत्र जप सफलता और ऊर्जा की वृद्धि के लिए किया जाता है. ये मंत्र जीवन में सफलता और ऊर्जा के साथ समृद्धि भी भरते हैं. सूर्य ग्रह का धार्मिक महत्व भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में बहुत महत्वपूर्ण है. सूर्य ग्रह को हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य या सूर्य देवता के रूप में पूजा जाता है और इसे सभी चार वेदों में महत्वपूर्ण स्थान पर पाया जाता है. सूर्य को भगवान, देवता और निराकार परम ब्रह्म का प्रतीक माना जाता है. सूर्य का पूजन भक्तों को ज्ञान, ऊर्जा, स्वस्थता, और सफलता की प्राप्ति के लिए किया जाता है. सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है और उसकी किरणें जीवन को प्रकाशित करती हैं, इसलिए सूर्य को आत्मा का प्रतीक माना जाता है. हिन्दू धर्म में सूर्य देव की पूजा सूर्य उत्सव या छठ पूजा के रूप में की जाती है, जिसमें भक्त खुले आसमान में सूर्य की उपासना करते हैं. इस उत्सव के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय विशेष पूजा अर्चना की जाती है. सूर्य ग्रह का पूजन न केवल आर्थिक और भौतिक लाभ के लिए किया जाता है, बल्कि इससे आत्मा के साथ साथ प्राकृतिक उत्साह, ऊर्जा, और सांस्कृतिक समृद्धि की प्राप्ति होती है.

आदित्य हृदय स्तोत्र:

ततो युद्धे समुपासृत्य रच्म्येते हरय: तव।
अभिवाद्य च बहून् वदन्त्यहमीतमुत्तमम्।।

"आदित्य हृदय स्तोत्र" श्रीरामचरितमानस के युद्धकाण्ड के मध्य स्थित है और इसे भगवान श्रीराम ने रविवर के पूजन के समय ब्रह्मर्षि अगस्त्य को सुनाया था। यह स्तोत्र महाभारत के युद्धकाण्ड की घटनाओं पर आधारित है और इसमें भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन है।

मंत्र का अर्थ है: "तब युद्ध के लिए उत्तर दिशा में बढ़कर हे सूर्यपुत्र! तुम्हारे समर्थन के लिए विराट स्वरूपवाले श्रीरामजी युद्धभूमि में रचना कर रहे हैं और बहुत अद्भुत रूपों का दर्शन करने के लिए वे तुम्हें प्रतीत हो रहे हैं."

इस मंत्र में भगवान श्रीराम को आदित्य या सूर्यपुत्र के रूप में स्थापित किया गया है, और युद्धभूमि पर उनकी दिव्य रचना का वर्णन किया गया है. इससे युद्धकाण्ड में भगवान श्रीराम की ऊर्जा, साहस, और दिव्यता का महत्वपूर्ण परिचय होता है.

ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः।

मंत्र का अर्थ है:

"ॐ" एक प्राणवाचक ब्रह्मास्त्र है, जो सृष्टि की उत्पत्ति को प्रतिष्ठित करता है और अनंतता का प्रतीक है.

"ह्रां" सूर्य देव का बीज मंत्र है जो सृष्टि की उत्पत्ति और सुरक्षा के लिए प्रयोग होता है.

"ह्रीं" यह भगवती लक्ष्मी का मंत्र है जो सौभाग्य, समृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए जाना जाता है.

"ह्रौं" यह सूर्य देव की ऊर्जा और शक्ति को दर्शाता है और सभी बुराइयों के नाश के लिए प्रयोग होता है.

"सः" यह सूर्य देव को सूचित करने के लिए प्रयोग होता है.

"सूर्याय नमः" यह भगवान सूर्य की पूजा के लिए उनका नाम सहित आदर करने के लिए है.

इस मंत्र का जाप सूर्य देव की कृपा, ऊर्जा, और शक्ति की प्राप्ति में सहारा प्रदान करता है और व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा, स्वस्थता, और समृद्धि में सहायक होता है.

आदित्याय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो आदित्य: प्रचोदयात्।

इस मंत्र का अर्थ है: "हम आदित्य (सूर्य देव) को जानते हैं, हम वायुपुत्र (हनुमान) की ध्यान में रहते हैं. हमें वह आदित्य (सूर्य देव) प्रेरित करें."

यह मंत्र सूर्य देव और हनुमान जी की शरण में जाने का भाव दर्शाता है. सूर्य देव को जानना और हनुमान जी की ध्यान में रहना सभी प्रकार के आध्यात्मिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए किया जा सकता है. मंत्र के द्वारा व्यक्ति ईश्वरीय शक्तियों का संबंध स्थापित करता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करता है.

ओम घृणि सूर्याय नमः।

मंत्र का अर्थ है: "ओम, हे सूर्य देव, मैं आपकी कृपा की प्रार्थना करता हूं"

यह मंत्र सूर्य देव की पूजा और आराधना के लिए उपयोग होता है. "ॐ" ब्रह्मास्त्र है जो सृष्टि के प्रारंभ को प्रतिष्ठित करने में मदद करता हैं. "घृणि" शब्द का अर्थ होता है कृपा या अनुग्रह, और "सूर्याय नमः" का अर्थ है "सूर्य को मेरी प्रणाम."

इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति सूर्य देव की कृपा, ऊर्जा, और शक्ति को प्राप्त करता है, जो उसे सकारात्मक दिशा में अग्रसर करने में मदद करता है. सूर्य देव को प्रसन्न करने से व्यक्ति को स्वस्थ, ऊर्जावान, और समृद्धि मिलती है.

आदित्याय नमस्तुभ्यं प्रसिद माम सूर्य भगवन्।
चायाय मां पाहि मां रोगान् ग्रामान् सर्वान् पालय।

मंत्र का अर्थ है: "हे सूर्य भगवन, आपको प्रणाम है. कृपया मेरी प्रार्थनाओं को सुनें और मुझ पर कृपा करें. कृपया मुझे रक्षा करें, मेरे रोगों को दूर करें, और मेरे गाँव और सभी को सुरक्षित रखें."

यह मंत्र सूर्य देव की कृपा, सुरक्षा और स्वस्थता के लिए प्रार्थना करने के लिए है. व्यक्ति इस मंत्र का जाप करते समय अपनी रक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करता है.

इन मंत्रों का नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति को सूर्य की कृपा मिलती है और सफलता, स्वास्थ्य, और ऊर्जा में वृद्धि होती है। सूर्य का पूजन ताजगी, जीवन को रौंगत और सकारात्मकता से भर देता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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