Termite Negative Effects: अक्सर देखा गया है कि लोगों के घरों में चेहरा देखने वाला शीशा यानी मिरर टूट जाता है तो लोग आलस्य में उसे नहीं हटाते हैं और जब भी बाजार से घर लौटते हैं तब उन्हें उसके बारे में याद आता है कि उसे हटा देना चाहिए फिर विचार करते हैं कि अबकी बार जब बाजार जाएंगे तो नया शीशा जरूर लेकर आएंगे. इसी तरह यदि कहीं किसी लकड़ी के सामान में दीमक लग गई है तो लकड़ी का पाउडर नीचे फर्श पर गिर रहा है तो भी वह उसे नजरंदाज करते रहते हैं और कभी बहुत याद भी आ गई तो कारपेंटर को फोन कर बता देते हैं कि इस तरह की समस्या हो गई है और जब मौका मिले तब घर पर आकर देख लेना कि क्या करना है. यह दोनों ही चीजें अपशगुन करती हैं. ऐसे में आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि इन दोनों चीजों से आपके घर में क्या क्या हानि हो सकती है और क्यों टूटे शीशे या दीमक लगे सामान को फौरन घर से बाहर कर देना चाहिए.
चटका शीशा है बीमारी को बुलावा
- अक्सर देखा जाता है कि लोगों को घरों में खिड़की का शीशा टूटा है या नहाने के बाद चेहरा देखने वाला शीशा किसी कोने से चिटका होता है, लोग सोचते हैं कि अभी तो यह एक कोने में ही चटका है, इससे काम तो चल ही रहा है.
- यदि आप भी इसी तरह से सोचते हैं तो समझ लीजिए यह गलत है, घर की खिड़की में टूटा हुआ शीशा लगा है या फिर चटके हुए शीशे में आपका पूरा परिवार लगातार अपना चेहरा देख रहा है तो समझ लीजिए आप अपने घर में किसी रोग, बड़ी बीमारी को न्योता दे रहे हैं.
- आप तय मानिए कि महीने भर के भीतर ही कोई बीमार होगा और उसके इलाज पर पैसा खर्च होगा.
मोबाइल का टूटा टेम्पर्ड या स्क्रीन है खतरे को बुलावा
- मोबाइल तो आज हर हाथ में होता है और कई बार यह हाथ से छूट कर गिर भी जाता है, ऐसे में मोबाइल भले ही चालू रहे किंतु उसका टेम्पर्ड या स्क्रीन टूट जाता है.
- अब आप उस खंडित स्क्रीन या टेम्पर्ड को लगातार देखेंगे तो आपके मानस पटल पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा, नकारात्मकता बढ़ेगी.
- इसी तरह आप जो वाहन चलाते हैं यदि उसका ग्लास टूट गया है तो उसे भी यूं ही न छोड़ दें बल्कि टूटते ही बदला लेना चाहिए.
दीमक लगने पर तुरंत करें ये उपाय
- कई बार घरों में लकड़ी के सामान में दीमक लग जाती है, यदि अधिक दीमक लग रही है तो तुरंत ही उसका उपचार कराना चाहिए क्योंकि यह दीपक भू स्वामी या मकान मालिक को धीरे धीरे तनाव देने का काम करती है.
- यदि यही दीमक घूमते हुए नार्थ-ईस्ट यानी उत्तर-पूर्व तक पहुंच गई हो तो दिमाग में उलझन पैदा करेगी और बच्चों का काम भी नहीं बनेगा या बनते बनते रुक जाएगा.