Advertisment

Somnath Temple: सोमनाथ मंदिर का वो दिलचस्प किस्सा जिसे आप नहीं जानते, डॉ राजेंद्र प्रसाद से क्यों नाखुश थे नेहरू, जानें सबकुछ

Somnath Temple: मंदिर की आस्था के हिसाब से बार बार निर्माण हुआ...कृष्णा , रावण...जितनी बार नया बना...सात बार मंदिर टूटा...नया मंदिर बना तो उससे भी भव्य बना. 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्या ने बनवाया था.

author-image
Prashant Jha
एडिट
New Update
Somnath Temple

Somnath Temple( Photo Credit : फाइल फोटो)

Somnath Temple: आज ही के दिन यानी 11 मई 1951 को सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के ठीक 8 साल बाद दूसरी बार डॉ राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर पहुंचे थे. मंदिर पहुंचते ही उन्होंने कहा था कि प्राय: 8 वर्षों के बाद मुझे एक बार और सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि मैं यहां आकर दर्शन कर सका. ये स्थान अनंत काल से तीर्थ स्थान रहा है और बावजूद इसके कि इस पर समय-समय पर आपत्तियां आती गईं...ये हमेशा पुनर्जीवित होता रहा और अपने गौरव को आज तक बनाए रहा, लेकिन आज की कहानी 28 सितंबर 1959 की नहीं...बल्कि उससे पहले की है...

Advertisment

13 नवंबर 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल सोमनाथ पहुंचे थे...कई बार आक्रांताओं का शिकार बन चुके सोमनाथ मंदिर की हालत देखी..तो वे तड़प उठे.. वे उस शाम सोमनाथ के समुद्री तट के रेत पर खुले पैरों से चल रहे थे...साथ में थे तत्कालीन नवा नगर के जाम साहब दिग्विजय सिंह और जय सोमनाथ के लेखक के एम मुंशी. तभी पटेल ने सागर तट से अंजलि में जल लिया और कहा कि समुद्र के जल को हथेली में लेकर हम प्रतिज्ञा करते हैं कि सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाएंगे

सरदार के ऐलान के साथ ही लोगों में उत्साह फैल गया...मंदिर का निर्माण शुरू हो गया..अब वो वक्त भी आया...जब मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी..तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता भेजा गया, लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि राष्ट्रपति मंदिर के शिलान्यास में जाएं.

सोमनाथ मंदिर को सात बार निर्माण करवाया...मंदिर की आस्था के हिसाब से बार बार निर्माण हुआ...कृष्णा , रावण...जितनी बार नया बना...सात बार मंदिर टूटा...नया मंदिर बना तो उससे भी भव्य बना. 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्या ने बनवाया था.

इतिहासकार अंशु जोशी बताते हैं कि  नेहरू सहमत नहीं थे...नेहरू नहीं गए. राजेंद्र प्रसाद ने कहा...चूंकि वे मस्जिदों में जाते हैं..चर्च में जाते हैं तो मंदिरों में क्यों नहीं जाए. 11 मई 1951 राजेंद्र  प्रसाद ने तार्किक उत्तर दिया .सर्वधर्म समभाव में विश्वास में जानते हैं. मंदिर के निर्माण के लिए जामसाहब ने एक लाख रुपए, जूनागढ़ के प्रशासक शामलदास गांधी ने 51 हजार रुपए और दूसरे धनपतियों ने भी दौलत की बारिश करा दी और इस तरह साल 1962 में विराट सोमनाथ मंदिर बनकर तैयार हो गया...

नए मंदिर बनने के साथ ही सोमनाथ का गौरव लौट आया था. पुराना मंदिर जहां वास्तुकला का नायाब नमूना हुआ करता था..वहीं नया मंदिर विरासत को समेटे इंजीनियरिंग का विराट स्वरुप ले चुका था. 1 दिसंबर 1995 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया. 17 बार आक्रमण के बाद आज भी खड़ा है और वो भी पुराने वैभव के साथ मंदिर खड़ा है. 

ये भी पढ़ें: Delhi NCR Weather: रातभर धूल भरी आंधी ने राजधानी में मचाई तबाही, 4 की मौत, 23 घायल

Source : News Nation Bureau

Dr Rajendra Prasad on Somnath temple dr rajendra prasad Somnath temple historical facts Somnath temple news Somnath Temple Gujarat somnath temple history of Somnath Temple
Advertisment