किसी का भी हृदय मरने के बाद भी धड़कता आपने कभी सुना है. कहीं भी हो फिर चाहे वह अवतार लेने वाले कोई भगवान ही क्यों न रहे हों?, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण का हृदय है जो आज भी सदियों बाद धड़क रहा है. एक ऐसी जगह है जहां भगवान श्रीकृष्ण का हृदय आज भी धड़कता है, तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर वह कौन सी जगह है. जहां आज भी भगवान का धड़कता है हृदय. दरअसल, पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीविष्णु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया तो यह उनका मानव रूप था. सृष्टि के नियम अनुसार, इस रूप का अंत भी तय था.
ऐसे में महाभारत युद्ध के 36 साल बाद श्राकृष्ण की मृत्यु हुई. जब पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया तो पूरा शरीर तो अग्नि को समर्पित हो गया, लेकिन उनका हृदय धड़क ही रहा था. अग्नि का उसके ऊपर कोई भी असर नहीं पड़ा और उसमें से एक ज्योत जलते ही जा रही थी. तब पांडव चकित रह गए और कृष्ण के हृदय को जल में प्रवाहित कर दिया.
पौराणिक कथा में बताया जाता है कि जल में प्रवाहित श्रीकृष्ण के हृदय ने एक लठ्ठ का रूप ले लिया और पानी में बहते-बहते उड़ीसा के समुद्र तट पर पहुंच गया. उसी रात वहां के राजा इंद्रद्युम्न को श्रीकृष्ण ने सपने में दर्शन दिए और कहा कि वह एक लट्ठ के रूप में समुद्र तट पर स्थित हैं.
सुबह जागते ही राजा श्रीकृष्ण की बताई हुई जगह पर पहुंचे. इसके बाद राजा इंद्रद्युम्न ने लट्ठ को प्रणाम किया और उसे अपने साथ ले आए और उसे जगन्नाथजी की मूर्ति में रखवा दिया. कहते हैं कि जबसे राजा इंद्रद्युम्न ने उस लट्ठ रूपी हृदय को जगन्नाथजी की मूर्ति में रखवाया तब से लेकर आज तक वह मूर्ति के अंदर ही है और वह धड़कता भी है.
यही वजह है कि प्रत्येक 12 वर्ष बाद जब भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति बदली जाती है तो वह हृदय भी नई मूर्ति में रख दिया जाता है. मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया को नवा-कलेवर रस्म के नाम से जाना जाता है.
HIGHLIGHTS
- आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का हृदय
- अंतिम संस्कार के वक्त नहीं जला था हृदय
- पंडवों ने कृष्ण के हृदय को जल में प्रवाहित कर दिया था