Longest Day of The Year: ग्रीष्म अयनकाल वह समय होता है जब सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में अपनी सबसे ऊंची स्थिति पर होता है. यह 20 जून या 21 जून को घटित होता है. इस दिन, उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है. सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सबसे अधिक तिरछी पड़ती हैं. इसके परिणामस्वरूप, उत्तरी गोलार्ध में अधिकतम धूप प्राप्त होती है. दिन लम्बा और रातें छोटी होती हैं. कुछ उत्तरी क्षेत्रों में, सूर्य 24 घंटे तक अस्त नहीं होता है, जिसे मध्यरात्रि सूर्य कहा जाता है. तापमान बढ़ जाता है और गर्मी का मौसम चरम पर होता है. पौधे तेजी से बढ़ते हैं और फूल खिलते हैं. पक्षी अधिक सक्रिय होते हैं और जानवर अधिक भोजन इकट्ठा करते हैं. कई संस्कृतियों में, ग्रीष्म अयनकाल को उत्सवों और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है. यह नए जीवन, उर्वरता और प्रचुरता का प्रतीक है.
2024 में ग्रीष्म अयनकाल
ग्रीष्म अयनकाल शुक्रवार, जून 21, 2024 को
ग्रीष्म अयनकाल समय - 02:20 ए एम
ग्रीष्म अयनकाल सूर्योदय - 05:24 ए एम
ग्रीष्म अयनकाल सूर्यास्त - 07:22 पी एम
ग्रीष्म अयनकाल दिन की अवधि - 13 घण्टे 58 मिनट्स 11 सेकण्ड्स
ग्रीष्म अयनकाल पिछले दिन की अवधि - 13 घण्टे 58 मिनट्स 11 सेकण्ड्स
ग्रीष्म अयनकाल आगामी दिन की अवधि - 13 घण्टे 58 मिनट्स 09 सेकण्ड्स
हिंदू धर्म में ग्रीष्म अयनकाल का महत्व
1. योग दिवस- ग्रीष्म अयनकाल को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो 21 जून को होता है. यह दिन योग और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करता है. इस दिन योग अभ्यास करके लोग शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं.
2. सूर्य पूजा- ग्रीष्म अयनकाल के दौरान सूर्य पूजा का विशेष महत्व है. इस समय सूर्य अपने उच्चतम बिंदु पर होता है और उसकी ऊर्जा सबसे प्रबल होती है. हिंदू धर्म में सूर्य देवता की पूजा करके शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है.
3. कृषि और फसल- इस समय को कृषि और फसल के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. किसानों के लिए यह समय फसल की बुआई और अच्छी फसल की कामना करने का होता है. ग्रीष्म अयनकाल के समय सूर्य की प्रबलता से फसलों को अधिक ऊर्जा मिलती है.
ग्रीष्म अयनकाल का वैज्ञानिक महत्व
ग्रीष्म अयनकाल पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण होता है. पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है. इस झुकाव के कारण, सूर्य वर्ष के दौरान पृथ्वी के कई हिस्सों पर अलग-अलग कोणों से प्रकाशित करता है. जून में, उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रीष्म अयनकाल होता है. ग्रीष्म अयनकाल ऋतुओं को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau